अयनावरम स्थित जैन दादावाड़ी में चातुर्मासार्थ विराजित साध्वी कुमुदलता ने प्रवचन में उपभोग-परिभोग परिमाण व्रत के तहत कर्मादान की चर्चा करते हुए कहा कि कर्मादान कांटों की चुभन की तरह है जो सिर्फ पीड़ा पहुंचाती है। ये कर्मादान हमें जीवन से पाप कर्मों से मुक्ति का संदेश देते हैं। पाप करने पर उनका भुगतान करना ही पड़ता है।
भगवान महावीर ने 15 कर्मादान का सुन्दर विवेचन किया है। 15 कर्मादान कहते हैं कि पापों का खाता बंद कर देना चाहिए। कर्मादान के तहत कई प्रकार का व्यापार करना श्रावकों के लिए निषेध है। उन्होंने विभिन्न प्रकार के व्यापार का उल्लेख करते हुए कहा कि हमें उस तरह का व्यापार नहीं करना चाहिए जिससे पाप कर्मों का बंधन होता है।
साध्वी महाप्रज्ञा ने शाश्वत सत्य का अर्थ बताया। परमात्मा आदिनाथ का वर्णन करते हुए कहा कि वे पहले ऋषभ कुमार के नाम से जाने जाते थे। उनके राजदरबार में एक नृत्य कार्यक्रम के दौरान नृत्यांगना की मृत्यु हो जाती है। इस घटना से ऋषभ कुमार का हृदय परिवर्तन हो जाता है और वैराग्य अपना लेते हैं।
उन्होंने संसार में धर्म का बीज बोया। व्यक्ति के हृदय में कितने राग भरे होते हैं। अगर राग-द्वेष के साथ मृत्यु हो जाती है तो नरक गति प्राप्त होती है। राग-द्वेष से छुटकारा मिल जाए तो जीवन जीने का आनन्द आ जाता है। प्रवचन के बाद सोनाली लूंकड़ की नौ तपस्या के प्रत्याख्यान हुए। 15 उपवास के तप की बोली लगाकर उनकी ही जेठानी मनीषा लूंकड़ ने उनका सम्मान किया। गुरुवार को 9.15 बजे से परमात्मा पाश्र्वनाथ का अनुष्ठान होगा।