चेन्नई. पुरुषवाक्कम स्थित एएमकेएम में विराजित साध्वी कंचनकंवर के सानिध्य में साध्वी डॉ. सुप्रभा ने सफलता के मार्ग के पांच समवाय में से तीसरा कर्मवाद को बताया। कर्मवाद जैन दर्शन की नींव जैसा है। कर्म के द्वारा हम हर समस्या का समाधान कर सकते हैं।
आज जितनी विचित्रताएं हम देख रहे हैं सभी कर्म का ही कारण है। एक माता के दो जुड़वां पुत्रों में से एक बुद्धिशाली होता है और दूसरा मंदबुद्धि, एक दुखी है तो दूसरा सुखी, इसका कारण दोनों के अपने-अपने कर्म ही हैं। राजसत्ता के नियम मानने से भले ही इनकार कर सकते हो लेकिन कर्म सत्ता के नियमों को हर हालत में मानना ही होगा।
शुभ कर्म करेंगे तो शुभ प्राप्त होंगे और अशुभ कर्म के अशुभ फल। हम सभी कर्म के अधीन हैं। साध्वी डॉ.हेमप्रभा ने कहा तीर्थंकर प्रभु का उत्तराधिकारी सभी बनना चाहते हैं लेकिन अधिकांश व्यक्ति संयम अंगीकार करने से घबरा जाते हैं। पर्वत के समान संयम अंगीकार करने वाला ही दुर्गम घाटी को पारकर मोक्षरूपी सिंहासन पर पहुंचता है।
7 अगस्त को प्रात: ५5.30 से 6.30 बजे तक साध्वी विजयप्रभाजी द्वारा ध्यान साधना और 11 अगस्त को मरुधर केसरी श्री मिश्रीमलजी एवं लोकमान्य संत श्री रूपचंदजी महाराज की जन्म-जयंती मनाई जाएगी।