चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा मनुष्य की आत्मा अनंत अनंत भवों से भटक रही है। संसार रूपी दुखों से निकल ही नही पा रही है। ऐसा सिर्फ मनुष्य के गलत कर्मो की वजह से हो रहा है। मनुष्य जन्म अनमोल है इस जैसा जीवन में कुछ और नहीं है।
जब तक कीमत पता नहीं चलेगी जीवन के दुख दूर नही होंगे। संसार के चार प्रकार के पुत्रों में अतिजत पुत्र अपने पिता से बढक़र कार्य करते हैं। मानव प्रतिष्ठा पिता से ज्यादा प्राप्त करता है। उसका नाम पिता से नहीं पुत्र के नाम से जानते हंै। आज लोग राजा दशरथ को नहीं प्रभु राम को जानते हैं। वैसे ही वासुदेव नहीं कृष्ण के नाम की माला फिरती है।
ऐसे एक नहीं हजार महापुरुष इस संसार में आकर नाम कमाया है। ऐसे महान पुत्र का यश मान सम्मान पिता से बढक़र होता है। मनुष्य को अतिजय जैसे पुत्र बनने का प्रयास करना चाहिए। ऐसा पुत्र कभी नहीं बनना चाहिए जिससे पिता का बनाया नाम भी गंवा दें। कमाया हुआ धन तभी सार्थक होगा जब उसे धर्म और उपकार के कार्य में लगाया जाए।
कमाते तो सब हैं लेकिन उपकार के कार्य में सिर्फ महान लोग ही लगाते हैं। जीवन में आगे जाना है तो दूसरों के लिए हमेशा सेवा के लिए खड़े रहना चाहिए।
इस अवसर पर फैंसी ड्रेस प्रतियोगिता हुई जिसमें छोटे छोटे बच्चों ने रंग-बिरंगी डे्रस में हिस्सा लिया। इस मौके पर संघ अध्यक्ष बुधराज भंडारी, मंत्री देवीचंद बरलोटा समेत अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे।