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ऊर्जा ऊध्र्वगमन करती है तो उपासना कहलाती है: पंकज मुनि

ऊर्जा ऊध्र्वगमन करती है तो उपासना कहलाती है: पंकज मुनि

रविवार को विशेष प्रवचन सभा का होगा आयोजन

चेन्नई. गुरु पदद्म- अमर कुल भूषण श्रमण संघीय उप प्रवर्तक पंकज मुनि का चातुर्मास भव्याति भव्य रूप से जैन भवन, साहुकारपेट में गतिमान है। ओजस्वी प्रवचनकार डॉ. वरुण मुनि अपने प्रवचनों की नित्य प्रति अमृत वर्षा कर रहे हैं। उन्होंने कहा साधना के क्षेत्र में जब कोई साधक आगे बढ़ता है तो उस समय साधक के सामने दो प्रमुख समस्याएं आती हैं एक मोह की और दूसरे वासना की। जो साधक इन दो घाटियों को पार कर लेता है फिर उसकी साधना उसे सिद्धि के द्वार तक ले जाती है। पिछले 2-3 दिनों के प्रवचनों में हम मोह की बात कर आए हैं आज आपके समक्ष वासना की बात आ रही है। वासना का अर्थ है- देश काल का मान भुलाकर किसी भी चीज को तीव्र भावावेश में ग्रहण करना। फिर भले ही वह संगीत हो, रूप हो, सुगंध हो, रस हो या स्पर्श वह सब वासना के अन्तर्गत ही आते हैं। तन की ऊर्जा जब अधोगमन करती है तब वह वासना कहलाती है और जब यही ऊर्जा ऊध्र्वगमन करती है तो उपासना कहलाती है।

 

नीतिकार कहते हैं जीवन में जहां काम होगा, वहां फिर राम नहीं होगा और जहां राम होगा, वहां फिर काम न टिक पाएगा। कभी कभी धन की भी वासना होती है। ज्ञान का अभिमान आ जाए तो वह भी वासना बन जाता कभी- कभी आदमी को नाम की इच्छा जाग जाती है। मेरा संसार में नाम हो, मेरी जय जयकार हो, यह भी एक प्रकार की वासना कहलाती है। बस प्रयास करें- इन्हें जीतने का और उसका सरल-सा उपाय है कि- वासना को उपासना की ओर मोड़ दें।

जैन कॉन्फ्रेंस के राष्ट्रीय अध्यक्ष आनंदमल छल्लाणी ने गुरु भगवंत के दर्शन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। महामंत्री शांतिलाल जी ने बताया कि रविवार को प्रात: 8 से 9 बजे प्रवचन सभा का विशेष आयोजन होगा तथा सामायिक करने वाले बच्चों को प्रभावना दी जाएंगी।

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