चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने रविवार को कहा कि उत्तम कार्य ही मनुष्य को ऊंचाइयों पर ले जाता है। जीव दया करने से जीवन में बहुत लाभ मिलते हैं। सौभाग्यशाली ही अपने जीवन को ऐसे उत्तम कार्यों में जोडऩे का प्रयास करते हैं। मनुष्य जीवन का लाभ अगर लेना चाहते हैं तो जीव दया के कार्यों में सदैव आगे रहना चाहिए। इसके साथ ही मानव जाति के प्रति अपने हृदय के अंदर क्षमा का भाव रखें। प्राणि मात्र के प्रति दिल में द्वेष का भाव नहीं रखने पर ही सच्चे अर्थों में क्षमापना का भाव उत्पन्न हो पाएगा।
उन्होंने कहा, क्षमा करने और मांगने में जीत होती है, हार नहीं। क्षमा मांगना वीरों का भूषण है कायरों का व्यवहार नहीं। क्षमा दान देने-लेने से स्नेह बढ़ता है। जीवन को क्षमामय बनाने के लिए प्राणी मात्र के प्रति अपने हृदय के अंदर दया के भाव आने चाहिए। जीवों पर दया करने वाले वास्तव में उत्तम कुल में जाते हैं। अपने इस जीवन में किए गए सद्कार्य अगले जन्म में अनंत सुख और आनंद प्रदान करते हैं।
उन्होंने कहा जीवन को श्रेष्ठ बनाने के लिए क्षमा का अवतरण होना चाहिए। दान, शील, तप और भावना मुक्ति के मार्ग होते हैं। ऐसे में प्रत्येक मार्ग की आराधना कर मोक्ष मार्ग पर चल सकते हैं। यह स्वाध्याय का एक हिस्सा है जब भी मौका मिले लाभ लेते रहना चाहिए। सागरमुनि ने कहा कि आचरण व्यक्ति को ऊंचाई पर लेकर जाता है। पाप कर्मों से आत्मा नर्क की ओर बढ़ती है। अच्छे कर्मों से मनुष्य अच्छे भव को प्राप्त कर सकता है।
जीवन को सफल बनाना है तो लोभ, मोह, माया और क्रोध से खुद को दूर रखने की कोशिश करनी चाहिए। इस मौके पर संघ के अध्यक्ष आनन्दमल छल्लाणी सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने संचालन किया।