Share This Post

Featured News / Main Slider / ज्ञान वाणी

आभ्यंतर संस्कार का त्याग ही सच्ची साधना: आचार्य तीर्थभद्र सूरीश्वर

आभ्यंतर संस्कार का त्याग ही सच्ची साधना: आचार्य तीर्थभद्र सूरीश्वर

चेन्नई. किलपॉक में विराजित आचार्य तीर्थभद्र सूरीश्वर ने कहा इस भव में अकेले आए हैं और अकेले जाएंगे। कर्म भी अकेले ही भोगना है। कोई चीज स्थायी रुप से साथ नहीं रहने वाली है। फिर हम किसके लिए इतना पुरुषार्थ व मेहनत कर रहे हैं। व्यवहार की दृष्टि से आपके स्वजन हैं लेकिन परमार्थ दृष्टि से वे आपके कोई नहीं।

उन्होंने कहा संसार में कुल जीवों की संख्या के मुकाबले मनुष्य एक प्रतिशत भी नहीं है। जो 99 प्रतिशत को नहीं मिला वह मनुष्य भव हमें मिला है। जिसे सर्वज्ञ शासन की प्राप्ति नहीं हुई वह निष्पुण्यक है। सिद्धर्षिगणि ने अपने ग्रंथ में संसार के स्वरूप को प्रकट करने की कोशिश की है। बाह्य संस्कार का त्याग दीक्षा है। अभ्यंतर संस्कार का त्याग करना ही सच्ची साधना है, यही मोक्ष मार्ग है। उन्होंने कहा सिद्धर्षिगणि कहते हैं कि जो सुख का सही कारण है उसे हम दुख का कारण मानते हैं और यह विपरीत बुद्धि का परिणाम है।

हकीकत में जो दुख का कारण है, जिससे हमारी भविष्य में दुर्गति होने वाली है उसे हम सुख का कारण मानते हैं। पांच इन्द्रियों के विषय दुख का कारण है लेकिन हम सुख मानते हैं। धनोपार्जन के लिए कई पाप कर्म करने पड़ते हैं। संयम, तप सुख का कारण है लेकिन हम दुख का कारण मानते हैं।

उन्होंने कहा सामायिक लेते समय खुशी, अहोभाव होता है लेकिन समायिक पारते समय दुख होना चाहिए जो नहीं होता है। वास्तव मे जो सुख का कारण है उसे हम दुख का कारण मानते हैं। ब्रह्मदत्त चक्रवर्ती अपनी पत्नी के प्रति अत्यधिक राग होने के कारण सातवें नरक में गया। परमार्थ से क्रोध, मान, माया, लोभ शत्रु हैं लेकिन हम उनसे मित्रवत व्यवहार करते हैं, यह दुर्बुद्धि है।

यह आत्मा के लिए गांठ के बंधन जैसा है। इस संसार में जकड़कर रखने वाले धन, सम्पत्ति, पत्नी और पुत्र है। यह दुर्बुद्धि है। उन्होंने कहा हकीकत में दरिद्र वह है जिसके पास सद्धर्म नहीं है, जो सद्धर्म से वंचित है। हमारा शरीर हट्टाकट्टा है लेकिन आत्मा दुर्बल है। हमारे हृदय में परमात्मा का वास होना ही चाहिए।

Share This Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may use these HTML tags and attributes: <a href="" title=""> <abbr title=""> <acronym title=""> <b> <blockquote cite=""> <cite> <code> <del datetime=""> <em> <i> <q cite=""> <s> <strike> <strong>

Skip to toolbar