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आध्यात्म के नशे में गोता लगाएं : डॉ वसंतविजयजी म.सा.

आध्यात्म के नशे में गोता लगाएं : डॉ वसंतविजयजी म.सा.

दिव्य महामांगलिक का आमंत्रण पत्र जारी

इंदौर। विश्व विख्यात कृष्णगिरी शक्तिपीठाधिपति श्रीपार्श्व पद्मावती के परम उपासक, राष्ट्रसंत डॉ वसंतविजयजी म.सा. ने कहा कि अध्यात्म का नशा क्या होता है यह उसे ही पता चलता है, जो इस नशे में गोता लगाता है। उन्होंने कहा कि निश्चित ही ऐसे व्यक्ति का हृदय निर्मल हो जाता है।
वे शुक्रवार को यहां चंदननगर स्थित वसंत स्वर्णमहल श्रीजी वाटिका में अपना उद्बोधन दे रहे थे। इस अवसर पर संतश्री  की निश्रा में गुरुभक्तों क्रमशः अभय बागरेचा, जितेंद्र बाफना एवं अरविंद बांठिया द्वारा रविवार को आयोजित होने वाले आधिव्याधि मिटाने, पीड़ानाशक एवं सुख समृद्धि प्रदायक मंत्र शक्तिपात-दिव्य महामांगलिक की आमंत्रण पत्रिका को भी जारी किया गया।
संतश्री ने प्रत्येक व्यक्ति को यह भी प्रेरणा दी कि मन से सत्यनिष्ठ व कर्तव्यनिष्ठ हो जाइए। परिवार, समाज और देश की तरक्की इसी में निहित है। उन्होंने समय की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वर्तमान में लोग सोचते हैं अभी बहुत समय है और किसी न किसी रूप में काम को टालते रहते हैं ऐसे में जब समय निकल जाता है तब लोग पछतावा ही करते हैं।
उन्होंने कहा कि जो समय को बर्बाद करता है समय उसे बर्बाद करने में देर नहीं लगाता। वसंतविजयजी ने कहा कि यदि अच्छा समय चाहिए तो समय के महत्व को समझना होगा, क्योंकि समय की रफ्तार से तेज कुछ भी नहीं है। उन्होंने यह भी कहा कि समय सबका अच्छा होता है मगर लोग अपनी सोच की वजह से उसे अच्छा और बुरा बनाते हैं।
समय को महत्व देकर बदल जाने वालों का जीवन हमेशा सुंदर ही होता है। इस अवसर पर अभय बागरेचा ने 22 सितंबर की विभिन्न व्यवस्थाओं के बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि दोपहर 2 बजे से आयोजन प्रारम्भ होगा। विधिकारक रत्नेशभाई ने संचालन किया। रविवारीय दिव्य महामांगलिक के लाभार्थी जितेंद्र बाफना ने भी अपने विचार रखे। सभी का आभार रितेश नाहर एवं पंकज जैन ने जताया।

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