चेन्नई .जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ माधवरम के महाश्रमण समवसरण में आचार्य महाश्रमण कहा कि अनाहार की तपस्या के बाद आज क्षमापना दिवस है। भीतर के भावों में शरीर और वाणी दोनों पर प्रभाव पड़ता है। शाब्दिक उपचार होता है तो शारीरिक उपचार भी होना चाहिए। हम सभी छद्मस्त हैं। सामूहिक जीवन में कभी कटुता हो सकती है। कभी तेजी भी आ सकती है अथवा किसी को कोई बात अप्रिय भी लग सकती है।
जिस प्रकार मैले कपड़े को धोकर साफ कर दिया जाता है उसी प्रकार दैनिक जीवन में हृदय पर जमने वाली कटुता रूपी मैल को खमतखामणा के माध्यम से धोने का प्रयास करना चाहिए। आदमी को अंतरात्मा से खमताखामणा कर लेना चाहिए कि समस्त जीव हमें क्षमा करें और हम सभी जीवों को क्षमा प्रदान करें तो मन का मैल भी दूर हो सकता है। मुनि दिनेशकुमार ने क्षमापना से संबंधित गीत का संगान किया।
तेरापंथी सभा के मंत्री विमल चिप्पड़, जैन विश्व भारती के अध्यक्ष रमेशचन्द बोहरा, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष भरत मरलेचा, तेरापंथ महिला मंडल की अध्यक्षा कमला गेलड़ा, तेरापंथ प्रोफेशनल फोरम के अध्यक्ष दिनेश धोका, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष सुरेश बोहरा, आवास व्यवस्था के संयोजक पुखराज बड़ोला, भोजन व्यवस्था के संयोजक विनोद डांगरा, जैन तेरापंथ वेलफेयर ट्रस्ट के अध्यक्ष देवराज आच्छा व आचार्य महाश्रमण चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति-चेन्नई के अध्यक्ष धर्मचंद लुंकड़ ने आचार्य से खमतखामणा कर आशीर्वाद प्राप्त किया।
महाश्रमणी साध्वीप्रमुखा, मुख्य नियोजिका, साध्वीवर्या और मुख्यमुनि ने भी अपनी भावाभिव्यक्ति दी और आचार्य से खमतखामणा की। इसके उपरान्त साधु-साध्वियों ने आपस में खमतखामणा की। पूरे दिन भर खमतखामणा का दौर चलता रहा।