चेन्नई. तेरापंथी सभा साहुकारपट चेन्नई के तत्वावधान में मुनि ज्ञानेंद्र कुमार के सान्निध्य में तेरापंथ विद्यालय के विशाल प्रांगण में उमड़े हजारों श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि तपस्या उत्कृष्ट भाव से की जाती है उस उत्कृष्ट भाव से ही कर्मों की निर्जरा होती है।
पर्यूषण महापर्व में उत्कृष्ट भाव जागृत होते हैं जिससे आत्मा की शक्ति और ज्योति जागृत होती है। आज सैकड़ों सैकड़ों तपस्वी बड़ी तपस्या में रत है। हम उनकी तपस्या के प्रति हार्दिक मंगल शुभकामना प्रकट करते हैं।
जो तप नहीं कर सकते वह तपस्वी की तप की अनुमोदना भी करें उसकी सेवा और समाधि में योगभूत बनता है। वह भी विपुल कर्म निर्जरा का अधिकारी बन जाता है। भगवान महावीर के 27 भवों का रोचक वर्णन करते हुए कहा कि इस जहां में अनेक लोग आते हैं चले जाते हैं लेकिन कुछ शख्स ऐसे होते हैं जो अमिट पदचिन्हों के निशान छोड़ देते हैं।
भगवान महावीर को आज हम इसलिए याद करते हैं कि हमारी तरह भीड़ का हिस्सा नहीं बने उन्होंने सत्य को जाना उसे उन्होंने जग को जानाने का सुमार्ग बताया वह हमारे आदर्श है मार्गदृष्टा है।
इस अवसर पर मुनि विनीत कुमार, मुनि विमलेश कुमार ने सभा को संबोधित किया। मंगलाचरण जय तुलसी मंडल ने किया। सभा अध्य्क्ष विमल चिप्पड़ ने सभी तपस्वियों का हार्दिक अभिनंदन किया।
सभी तपस्वियों को साहित्य एवं अभिनंदन पत्र भेंट किए। सभा के मंत्री प्रवीण बाबेल ने कार्यक्रम का संचालन किया। अभी तक लगभग 500 तेले और 50 के आसपास 8 और 9 की तपस्या हुई है।