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आचार्य श्री महाश्रमणजी रूस पधारों

आचार्य श्री महाश्रमणजी रूस पधारों

देश के साथ विदेशों से भी आने लगी माँगे

अन्तर्राष्ट्रीय प्रेक्षाध्यान शिविरार्थीयों को दिया पाथेय

शिविरार्थीयों ने प्रकट की अपनी भावनाएं

जैनाचार्य श्री महाश्रमण अब एक सम्प्रदाय की सीमा में रहते हुए भी सीमातीत बन, देश के लोगों के ही नहीं, अपितु विदेशीयों के लिए भी आराध्य, पूजनीय बने हुए हैं| ज्ञातव्य है कि 2014 में दिल्ली से प्रारम्भ हुई, यह अहिंसा यात्रा तीन विदेशों – नेपाल, भूटान, सिक्किम से होकर अभी चेन्नई शहर में अहिंसा, नैतिकता, सद्भावना का प्रचार प्रसार कर रही हैं| और जन जन भी इन त्रिसुत्रों को अपनाकर अपने जीवन को पावन, पवित्र बना रहे हैं|

अष्टदिवसीय 17वें प्रेक्षा इन्टरनैशनल शिविर के अन्तर्गत संभागी बने रूस के शिविरार्थी ओल्गा चेलवी कोल्वा समूह (Olga Chellvi Kolva Group) ने प्रेक्षा गीत का सामूहिक संगान किया| समूह के सदस्यों ने आचार्य श्री महाश्रमणजी से रूस पधारने की, पूरजोर विनती की, तो पूरे महाश्रमण समवसरण ने उनके साथ में साथ मिला कर ऊँ अर्हम् की ध्वनी से समर्थन दिया|
ग्रुप के सदस्यों ने रशिया में संचालित प्रेक्षाध्यान की गतिविधियां निवेदित करते हुए कहा कि रशिया और आस पास के क्षेत्रों के लगभग 4000 व्यक्ति प्रेक्षाध्यान की साधना से लाभान्वित हो चुके हैं|

इलेना माचेनकोवा जो युक्रेन में प्रेक्षा ध्यान शिविर चला रही हैं| उसने कहा मैं मेडिकल सेन्टर भी चला रही हूँ| स्कूलों में पढ़ने वाले छोटे – छोटे बच्चे, जो साइक्लोलिकल रूप से बिमार है, जिनका डॉक्टर के इलाज से 3 – 4 महिना लगता है, वही वह प्रेक्षाध्यान के द्वारा इलाज करके 1 महिने में ही बच्चे ठीक हो जाते हैं| स्वीडन की एलेका पैरायर (Eleca Pahear) ने भी अपने भावों की अभिव्यक्ति दी|

इस अवसर पर आचार्य श्री महाश्रमण ने विशेष पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि प्रेक्षाध्यान का मूल लक्ष्य है – चित्त शुद्धि, यानी चित्त शुद्ध रहे| गौण या प्रासंगिक लक्ष्य देखे तो शारीरिक, मानसिक स्वास्थ्य लाभ मिल सकता हैं, पर मूल हमारा चित्त निर्मल रहे| चित्त धारा जितनी बदलेगी, शांति मिलेगी, आराम मिलेगा|

प्रेक्षाध्यान, ध्यान जगत में उपलब्धि देने वाला है| कितने-कितने विदेशी जुड़े हैं| विदेशी हो या देशी, मूलत: प्रेक्षाध्यान आत्मशुद्धि का काम हैं| शिविर के शिविरार्थी अपने-अपने क्षेत्र में प्रेक्षाध्यान का प्रचार प्रसार करते रहें| अपनी स्वयं की साधना करें, उनकी आत्मा उन्नत बने|

शिविरार्थीयों ने नमस्कार महामंत्र का सामूहिक उच्चारण किया| उन्होंने समूह स्वर में कहां कि हमें भारत और आचार्य श्री महाश्रमणजी अच्छे लगते हैं| हमें यहां आत्मतोष मिलता हैं और बार बार आने का मन होता हैं| इस शिविर में हर उम्र और हर प्रोफेशनल से जुड़े रूस, स्वीडन, युक्रेन, लातविया, कजाकिस्तान, फ्रांस, सिंगापुर इत्यादि से 71 लोगों ने भाग लिया|

आचार्य श्री महाश्रमण के सान्निध्य में मुनिश्री कुमारश्रमण के निर्देशन में यह शिविर व्यवस्थित चला रहा हैं| आचार्य श्री स्वयं प्रतिदिन उन्हें प्रेक्षाध्यान के बारे में बताते हुए प्रायोगिक प्रयोग भी कराते हैं| आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति की आयोजना में कई कार्यकर्ताओं का श्रम और सहयोग लग रहा है|

✍ प्रचार प्रसार विभाग
आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति, चेन्नई

स्वरूप चन्द दाँती

विभागाध्यक्ष : प्रचार – प्रसार
आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति

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