चेन्नई. साहुकारपेट स्थित जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा मनुष्य को श्रद्धा का दीप जला कर ज्ञान की प्रतिभा को चारों ओर फैलाना चाहिए। ज्ञान की बात को जितना फैलाया जाएगा उतना ही संसार में ज्ञान का प्रकाश फैलेगा। ज्ञान ही एक ऐसी होती है जो जितना बटेगा उतना बढेगा।
इसलिए ज्ञान देने की बात हो या लेने की बात हो मौके से पीछे नहीं हटना चाहिए। उन्होंने कहा कि संसार के सारे प्रपंच को छोड़ कर जो यहां आते हैं उनको सिर्फ यहां पर ही रहना चाहिए। प्रवचन में बैठ कर भी अगर संसार की बाते सोचेंगे तो यहां आने का मतलब नहीं निकलेगा। जिनवाणी का श्रवण करने में देरी हो जाये तो कोई बात नहीं लेकिन शुरू करने के बाद देरी नहीं करनी चाहिए।
साध्वी सुविधि ने कहा भगवान महावीर ने केवल ज्ञान केवल दर्शन को प्राप्त कर तीर्थ की स्थापना की। तीर्थंकर बनने के बाद उन्होंने सभी जीवों के कल्याण के लिए आगम देशना पढ़ा। इसलिए आगम सूत्रों का अध्ययन कर जानना चाहिए कि उनका जीवन संयम में रह कर कैसा था।
गुरु भगवंत मनुष्य लिए क्या छोड़ कर गए हैं अगर वह मनुष्य नहीं जानेंगे तो आगे नहीं निकल पाएंगे। यह सिर्फ आगम के अध्ययन के बाद ही पता चल पायेगा। परमात्मा ने अपने व्यवहार सूत्र में एक दूसरे के साथ अच्छा संबंध रखने की बात बताई है। मनुष्य के आचरण पर ही उसका पूरा व्यवहार निर्भर होता है।
जैसा मनुष्य का आचरण होगा वैसा ही उसका व्यवहार हो जाएगा। अच्छा व्यवहार किया तो संसार से जाने के बाद भी वह कभी नहीं मिटेगा। उन्होंने कहा कि आगम में तीर्थंकर ने जो बात कही है उसको सुन कर उस व्यवहार से जीवन चलाना चाहिए। धर्म सभा मे टी नगर से अनेक श्रावक गण उपस्थित हूए।