चेन्नई. साहुकारपेट के जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा जीवन में सफलता उन्हीं को मिलती है जो इसके लिए प्रयास करते हैं। कहना आसान होता है करना मुश्किल। वर्तमान में लोग कहते तो बहुत कुछ हैं पर जब करने का समय आता है तो पीछे हट जाते हैं।
असम्भव में ही संभव होता है। जो लगातार प्रयास करते हैं उनके जीवन के असंभव से अ हट कर संभव बन जाता है। जीवन में आगे जाना है तो पीछे से चलना सीखना होगा।
साध्वी सुविधि ने कहा जीवन में साथ और प्रेम होना बहुत जरूरी होता है। बिना प्यार के जीवन को जीना आसान नहीं होता है। जीवन में सब कुछ होने के बाद भी अगर प्रेम न हो तो जीना संभव नहीं हो सकता। वर्तमान में लोग वस्तु के पीछे भागते हैं। उसको पाने के लिए चाहे कितने ही रिश्ते टूट जाए उसका किसी को फर्क नही पड़ता है लेकिन सच तो यह है कि अगर जीवन में प्रेम न हो तो धन दौलत होने के बाद भी मनुष्य खुश नहीं रह सकता।
घर में द्वेष और लड़ाई का माहौल होने पर व्यक्ति बाहर प्रेम की तलाश करने लगता है। जिस घर मे प्रेम नहीं होता उस घर के लोग बाहर प्रेम ढूंढ़ते हैं। लेकिन याद रहे प्रेम के ढाई अक्षर अगर जीवन में ना हो तो जीवन जीने का कोई मतलब नहीं निकलता। बाहर का प्रेम तब तक टिकता है जब तक जरूरत पूरी होती है। जैसे ही जरूरत खत्म होगी प्रेम अपने आप ही खत्म हो जाएगा।
पहले के समय मे लोग जाति और आर्थिक परिस्थिति को देख कर शादियां करते थे। ऐसा करने पर शादी जीवन भर टिकती था और प्रेम बना रहता था, लेकिन वर्तमान में लोग चेहरा और शरीर देख कर शादी कर लेते हैं और जल्द ही टूट जाती है जो कि प्रेम नहीं बल्कि शर्तो की शादी होती है।
प्रेम में अगर कोई शर्त होगा तो वह प्रेम नहीं हो सकता। प्रेम तो मन से मन का होता है इसमें किसी प्रकार का शर्त नहीं होती। शरीर से नहीं मन से मन का प्रेम करने वाले होते हैं सफल। जीवन मे आगे जाना है तो एक दूसरे से प्रेम करना सीखना होगा। इस मौके पर आनन्दमल छल्लानी, पंकज कोठारी उपस्थित थे।