माधावरम् स्थित जैन तेरापंथ नगर के महाश्रमण समवसरण में ठाणं सूत्र के छठे अध्याय के बत्तीसवें सूत्र का विवेचन करते हुए आचार्य श्री महाश्रमण ने कहा कि अनात्मवादी के लिए छह बातें अहितकर, अशुभ, अकल्याणकारी होती हैं। दो शब्द हैं, आत्मवान और अनात्मवान| आत्मा तो सब प्राणियों के भीतर हैं| फिर अनात्मवान कैसे? अनात्मवान वह हैं, जो आत्मा के प्रति जागरूक नहीं, लापरवाह हैं, बाह्य दृष्टि वाला, जो यह मानता है कि आत्मा नहीं है, जिसमें वैराग्य भाव नहीं हैं, भौतिकता का दृष्टिकोण हैं, वह अनात्मवादी होता हैं।*एक चीज अच्छी हैं, पर किसी के लिए वह अहितकर हो सकती हैं, जैसे दूध अच्छा हैं, पौष्टिक हैं, पर जिसका पेट पहले से खराब हैं, उसे दूध पिलाया जाए, तो अहितकर हो सकता हैं। इसी प्रकार अनात्मवादी के लिए भी अच्छी चीजें, अहितकर हो सकती हैं।
*दूसरो को हीन मानना, अहंकार का पोषण*
आचार्य श्री ने आगे कहा कि छह चीजों में से पहली है, पर्याय। अवस्था या दीक्षा पर्याय में बड़ा हैं, पर आत्मा का दृष्टिकोण नहीं तो अहंकार आ जाता हैं। *मैं बड़ा हूँ,* इस बात पर अगर अहंकार आ जाए, तो वह अशुभ होती हैं, अहितकर होती हैं। दूसरी चीज हैं, परिवार। मेरा परिवार कितना बड़ा हैं, तुम्हारा तो छोटा हैं, तो अहंकार का निमित्त हो सकता हैं। दूसरो को हीन मानना भी अहंकार का पोषण हैं।
तीसरी बात हैं, श्रुत। ज्ञान का अहंकार होना। इतना पढ़ लिया, अब और नया क्या पढ़ना? यह सब अहंकार का पोषण है। जिज्ञासा न होना, नया जानने का प्रयास न होना, अहितकार हैं। इससे नए विकास में बाधा आ जाती हैं।
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आचार्य श्री ने आगे कहा कि चौथी बात हैं तप। तपस्या करता हैं, उसमें अहंकार आ जाए, कि मैं कितनी बड़ी-बड़ी तपस्याएँ कर रहा हूँ। मेरे बराबर कोई तपस्वी नहीं,*तो अहंकार आ जाता हैं। पांचवी बात हैं लाभ। लाभ होता रहे, पैसा अधिक हो जाता है, तो अहितकर हैं। अहंकार, विलासिता में आ जाए, तो लाभ भी अनात्मवादी के लिए अहितकर हो सकता हैं।*छठा हैं पूजा सत्कार। ज्यादा पूजा सत्कार मिलने से अहंकार आ सकता हैं। मेरी और ख्याति हो, यह अनात्मवादी के लिए, लोकेषणा को बढ़ाने वाला हो सकता हैं।
*आत्मार्थी में अहंकार न आये*
आचार्य श्री ने आगे कहा कि मूल बात हैं अहंकार। *आत्मार्थी में अहंकार न आये।* अनात्मवादी अहंकार में जा सकता हैं। व्यक्ति ध्यान रखें, लाभ होने व कुछ भी प्राप्त हो जाए, तो भी अहंकार में न आए। *अहंकार से गुस्सा पैदा होता हैं। दोनों की जोड़ी हैं।* गुरुदेव ने एक कथानक के माध्यम से बोध देते हुए कहा कि साधुओं में शालीनता रहे। मुस्कुराकर रास्ता मांग कर आए, जाए, दूसरे साधुओं की असातना न हो। आचार्य के उपकरणों के भी असावधानी से कुछ लग जाए, तो तुरन्त *खमत खामणा कर ले, यह शालीनता हैं।* गृहस्थ भी जागरूक होते हैं, कोई बात हो जाए, तो तुरंत खमत कामना कर लेते हैं। *कहीं-कहीं झुकने वाला बड़ा होता हैं,* अकड़ने वाला नहीं। मौके पर झुकना चाहिए, रुकना चाहिए और मुड़ना चाहिए।* इस तरह छह चीजें अनात्मवादी के लिए अहितकर, अशुभ, अकल्याणकारी हो सकती हैं। *हमारा दृष्टिकोण सही रहे, अहंकार से बचे और आत्मार्थी बने,* तो यह चीजें हमारे लिए हितकर हो सकती हैं।
*दीपावली पर फटाखें से बचें*
आचार्य प्रवर ने जनसमुदाय को विशेष प्रेरणा देते हुए कहा कि*दीपावली आ रही हैं। कार्तिक अमावस्या भगवान महावीर का निर्वाण दिन हैं, उपवास आदि तप करें। पटाखों से बचें। ये हिंसा के कारण हो सकते हैं।*
वर्ष 2017 – 2018 के प्रेक्षा पुरस्कार से सम्मानित काठमांडू (नेपाल) निवासी श्री किशोर सिंह शाही को बोध देते हुए कहा की प्रेक्षा पुरस्कार मिला हैं। नेपाल में प्रेक्षाध्यान का नियमित प्रयोग चलाते हैं, आगे से आगे और प्रगति करें। वहां के स्थानीय लोगों को प्रेक्षाध्यान का ज्यादा से ज्यादा लाभ मिले।*
*हम कल्पवृक्ष के फल खा रहे हैं : साध्वी प्रमुखाश्री*
साध्वी प्रमुखाश्री कनकप्रभा ने कालू यशो विलास का सुंदर विवेचन करते हुए देशी विलायती मतभेद के समय सरदारशहर घटित घटनाओं को बताते हुए कहा कि हम कल्पवृक्ष के फल खा रहे हैं और कामधेनु का दूध पी रहे हैं।*हमें ये भिक्षु शासन विरासत में मिला हैं।
*श्री किशोरसिंह शाही को प्रेक्षा पुरस्कार से नवाजा गया*
श्री मोहनलाल कठोतिया सेवा कोष द्वारा संचालित प्रेक्षा पुरस्कार वर्ष 2017-18 के लिए काठमांडू (नेपाल) निवासी श्री किशोरसिंह शाही को राजेश कठोतिया परिवार, आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री धरमचन्द लूंकड़ द्वारा प्रशस्ति पत्र व नकद राशि दी गई।
*अपने, समाज और देश के लिए अच्छा काम करे : शाही*
श्री किशोरसिंह शाही ने कहा कि मैं प्रेक्षाध्यान और अणुव्रत से जुड़ा हूँ। मैं पेशे से इंजीनियर था। प्रेक्षाध्यान से मेरे जीवन में बड़ा बदलाव आया हैं। मैं नोन जैन होते हुए इससे जुड़ कर मैं और मेरा परिवार शाकाहारी बन गया| काठमांडू जैन भवन में नियमित प्रेक्षाध्यान के प्रयोग कराता हूँ। मैं अपने लिए, समाज के लिए, देश के लिए, अच्छा काम करता रहूँ।*
तेरापंथ सभा मंत्री श्री विमल चिप्पड़ ने पुरस्कार और शाही का परिचय दिया| कार्यक्रम का कुशल संचालन मुनि श्री दिनेश कुमार जी ने किया।
*✍ प्रचार प्रसार विभाग*
*आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति, चेन्नई*
विभागाध्यक्ष : प्रचार – प्रसार
आचार्य श्री महाश्रमण चातुर्मास व्यवस्था समिति