चेन्नई. ताम्बरम जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मलता ने कहा गुणवान व्यक्तियों को देखकर उनके प्रति प्रीति भाव और प्रमोद भाव पैदा होना चाहिए। उनके प्रति प्रेमपूर्ण व्यवहार एवं ह्रदय में प्रसन्नता का अनुभव होना चाहिए। जो भी हम देखते, सुनते, स्पर्श करते हैं वह हमारे स्मृति पटल पर अंकित हो जाता है।
मन इतना तरल एवं संवेदनशील हैं कि वह प्रत्येक बात के संस्कार को अपने भीतर सुरक्षित कर लेता है। उसके संस्कार अपने में प्रवेश कर जाते हैं। गुण अनंत हैं। उन्हें ग्रहण करने में संतुष्ट मत बनिए। गुणीजन चन्द्रमा एवं कमल में अच्छाई देखता हैं। अवगुणी चांद में भी दाग एवं कमल में कीचड़ तलाशता है। गुणानुरागी को कहीं भी कमी नजर नहीं आती।
बुराई नहीं दिखती। अवगुणी को कहीं भी अच्छाई नहीं दिखती। साध्वी ने कहा, जीवन में कैंची की तरह नहीं, सुई की तरह बनो। पुल की तरह बनो। फूल की तरह खिलो।
साध्वी सुप्रतिभा ने कहा कि हमें अपनी इंद्रियों एवं मन पर संयम रखना है। यदि हम इसके वश में हो जाएं तो वह हमें अपने इशारों पर नचाता है। यह मन टेलीविजन की तरह हैं। टेलीविजन पर हर क्षण सीन बदलते रहते हैं। इसी प्रकार हमारे मन के भाव भी क्षण-क्षण बदलते रहते हैं।