चेन्नई. नेहरू बाजार, चेन्नई में विराजित उमराव ‘अर्चना’ सुशिष्या मंडल सहित साध्वी कंचनकुंवर, साध्वी डॉ.सुप्रभा के प्रवचन का कार्यक्रम हुआ।
साध्वी डॉ.उदितप्रभा ‘उषा’ ने अपने उद्बोधन में कहा कि जिसका जैसा दृष्टिकोण होता है, उसे दुनिया वैसी ही दिखाई देती है। दुनिया तो एक ही है यदि लाल रंग के लैंस वाले चश्मे से देखें तो लाल दिखाई देगी और काले रंग के लैंस के चश्मे से देखें तो काली। गुलाब में किसी को फूल दिखाई देते हैं तो किसी को कांटे।
हर व्यक्ति का अपना नजरिया होता है, अपनी सोच के अनुसार उसे चीजें नजर आती है। दिमाग एक उपजाऊ भूमि है। दोनों ही फसलों की उसमें पैदावार होती है। यह आप पर निर्भर करता है कि आप उसमें सकारात्मक या नकारात्मक कैसा बीज डालेंगे।
हमारी सोच को सकारात्मक बनाने का प्रयत्न ही जीवन साधना है। जब व्यक्ति का दृष्टिकोण सकारात्मक हो जाता है तो उसकी जीवन साधना सफल हो जाती है। उसे परम शांति और परम आनंद की प्राप्ति हो जाती है। यही तो जीवन का चरम लक्ष्य है।
साध्वी डॉ.इमितप्रभा ने कहा कि आत्मा यात्री है अनन्त काल से यात्रा कर रही है। लेकिन अभी इसने विराम नहीं पाया। विराम पाने की एकमात्र गति है मनुष्य गति। यह मनुष्य भव 84 लाख योनि में जा सकता है, मोक्ष में भी जा सकता है। निर्णय हमारे हाथ में है, हमें क्या करना है।
साध्वीमंडल का विहार 8 जून, शनिवार को रायपुरम जैन स्थानक में पधारेंगे, वहां पर 9.15 बजे प्रवचन होगा।