चेन्नई.अम्बत्तूर में विराजित श्रुतमुनि एवं अक्षरमुनि तथा साध्वी साक्षी ज्योति ने अपने प्रवचन में कहा कि मानव हमेशा दूसरों की गलती एवं अवगुण देखता है।
अगर मानव खुद की गलती देखना शुरू कर दे तो एवं अवगुण निकाल दे तो उसका भव सुधर जाता है। दूसरों की गलती को नजरअंदाज करना एवं दूसरों के गुणों को अन्दर लेकर अपने मन से स्वीकार करना, भगवान महावीर का अंतिम चातुर्मास पावापुरी में था।
उस समय उन्होंने अंतिम समय में 36 उत्तराध्यान सूत्र फरमाए। देवानुप्रिय आत्माओं अगर आनंद प्राप्त करना है तो अन्तर को जगाना, चिन्तन एवं मनन से मन लगेगा।
औरों की प्रशंसा करना स्वयं की निंदा या गलती पर विचार करना उससे आनंद मिलेगा। चेहरे पर मुस्कान हो, वाणी में मिठास हो रीति रिवाज से चले आप आनंद पा सकते हैं।
श्री गुरुगणेश मिश्री समिति तमिलनाडु के अध्यक्ष सुरेशचंद ललवाणी एवं महिला सेवा समिति की मार्गदर्शक लक्ष्मीदेवी ललवाणी पहुंचे। संचालन मंत्री गौतमचंद गादिया ने किया। मंगलवार को अम्बत्तूर में ही विराजेंगे तथा 3 अप्रैल को विहार कर आवड़ी पधारेंगे।