कांकरिया गेस्ट हाउस, किलपाक में साध्वी श्री मुदितप्रभाजी म.सा. ने कहा कि हमारे दैनिक जीवन में अनेक प्रसंग आते हैं, ऐसी अनेक घटनाएं घटती हैं, जिन पर हम आवेश में आकर बिना सोचे समझे प्रतिक्रिया कर देते हैं,जिसके फलस्वरूप बातें बढ़ जाती हैं !
तुरन्त प्रतिक्रिया देने में नुकसान ही हैं। अनेकों बार घटनाओं के मूल में कुछ नहीं होता पर प्रतिक्रिया देने के कारण आपसी रिश्तों में दीवार खड़ी हो जाती हैं ! व्यर्थ में दी गयी प्रतिक्रिया अनर्थ का कारण बनती हैं जिनसे विघटन होता हैं और कर्मबंध भी होते हैं!कई बार प्रतिक्रिया में वस्तुस्थिति नहीं होती और विकृत रूप धारण कर लेती हैं !
अनर्थ में की गई प्रतिक्रिया प्रतिशोध को जन्म देती हैं । जैन चिन्ह में हाथ इस बात का धोतक हैं कि प्रतिक्रिया ना करें। कभी कभी दवा का रिएक्शन हो जाता हैं, वैसे ही अनेक बार प्रतिक्रिया से भाव बिगड़ जाते हैं, जिसके परिणाम से हमारे भव भव बिगड़ जाते हैं!
इस अवसर पर श्री जैन रत्न हितैषी श्रावक संघ के प्रचार प्रसार मंत्री आर. नरेंद्र कांकरिया ने जानकारी दी कि साध्वी इन्दुबालाजी के सानिध्य में चातुर्मास काल में हर शनिवार व रविवार को मध्यान्ह में जैनाचार्य श्री हस्तीमलजी म.सा की अनमोल कृति जैन धर्म का मौलिक इतिहास पर विवेचन रोचक शैली में जानकारी का कार्यक्रम होगा।