श्री एसएस जैन संघ एमकेबी नगर एवं साध्वी धर्मप्रभा व स्नेहप्रभा के सान्निध्य में मरुधर केशरी मिश्रीमल एवं वरिष्ठ प्रवर्तक रूपमुनि की जन्म जयंती मनाई गई। विशिष्ट अतिथि एसएस जैन संघ साहुकारपेट के अध्यक्ष आनंदमल दल्लाणी, महावीरचंद बोहरा, मोहनलाल चोरडिया, पदमचंद कांकरिया, वईसराज रांका, दीपचंद लूणिया, डा. उत्तमचंद गोठी व सज्जनराज मेहता थे।
दर्शना महिला मंडल व त्रिशला बहू मंडल के स्वागत गीत से कार्यक्रम की शुरुआत हुई। चातुर्मास समिति के चेयरमैन पारसमल लोढा ने स्वागत भाषण दिया। इस मौके पर साध्वी धर्मप्रभा ने कहा मरुधर केशरी का जीवन एक जलती हुई जो आज भी पूरे समाज एवं संघ का मार्गदर्शन करती है। वे दृढ़ संकल्पी, अटूट विश्वास के धनी, दीन-दुखियों के हितेषी, जीवदया के प्रबल प्रेरक, आत्मविश्वास से परिपूर्ण और श्रवण संघ की ढाल थे।
उन्होंने श्रमण संघ को एकसूत्र में पिरोने के लिए सात बार राजस्थान में साधु सम्मेलन करवाए। उन्होंने सदा तोडऩे के बजाय जोडऩे में विश्वास किया। बलि प्रथा बंद करवाने के लिए उन्होंने कभी अपने प्राणों की भी परवाह नहीं की। गुरुदेव ने पंथ, संप्रदाय व मजहब को कभी भी महत्व नहीं दिया इसीलिए वे छत्तीस कौम की श्रद्धा के केन्द्र थे।
साध्वी स्नेहप्रभा ने कहा गुरुदेव संत रूपी माला की दिव्य मणि, श्रमण संघ की ढाल व उसके महाप्राण, जन-जन के आश्रयदाता, श्रद्धा के केन्द्र, संगठन के अगुवा संत, मानव समाज के मसीहा एवं जनकल्याण की भावना को दिल में संजोकर रखने वाली पवित्र आत्मा थे। उनके सिर पर कोई ताज नहीं होने पर भी सभी के सरताज एवं निर्बल की शक्ति व मानवता की आवाज थे।
यही कारण है कि वे किसी भी संघ समाज में बंधकर नहीं रहे और न ही कभी डरना सीखा। वज्र के समान इरादों वाले गुरुदेव दूरदृष्टा थे। ऋषभ भटेवड़ा, देवीलाल पीतलिया, राजेशकुमार चोरडिया, गौतमचंद मूथा, धर्मेश मेहता, सज्जनराज सुराणा व अनिलकुमार डोसी ने भी विचार व्यक्त किए।
इस मौके पर संघ अध्यक्ष पवन कुमार तातेड़, उपाध्यक्ष कमलचंद खिंवसरा, मंत्री गौतमचंद सुराणा, कोषाध्यक्ष निहालचंद लोढा सहमंत्री भरतकुमार बाघमार ने सभी अतिथियों एवं सहयोगियों का सम्मान किया। इस मौके पर श्रीसंघ अलसूर द्वारा अन्नदान व वस्त्रदान किया गया। जीवदया व मानवसेवा के कार्य भी किए गए।
कार्यक्रम में अनोपचंद भिडक़चा, माणकचंद खाबिया, अगरचंद चोरडिया, हुलासचंद चोरडिया, मीठालाल मकाना, पूरणचंद कोठारी, जबरचंद खिंवसरा, ज्ञानचंद मुणोत, पारसमल लोढा व देवराज कोठारी बेंगलूरु, शंकरलाल पटवा व जवरीलाल कटारिया समेत अनेक गणमान्य लोग बतौर अतिथि उपस्थित थे।