बेंगलुरु। श्री वासुपूज्यस्वामी जैन श्वेताम्बर मूर्तिपूजक संघ अक्कीपेट द्वारा संचालित श्री वासुपूज्यस्वामी जैन धार्मिक पाठशाला का रजतोत्सव आचार्यश्री देवेंद्रसागरसूरीश्वरजी एवं साध्वीवर्या मोक्षज्योतिश्रीजी म.सा. की निश्रा में अनेक कार्यक्रमों के साथ संपन्न हुआ।
रजत उत्सव के अंतिम दिन खेतेश्वर भवन में आयोजित कार्यक्रम में पाठशाला के विद्यार्थियों द्वारा सांस्कृतिक नाटिका की प्रस्तुति ने सबको भाव विभोर कर दिया। आचार्यश्री देवेंद्रसागरजी ने इस दौरान कहा कि अखंड धरा के संस्कारों से सिंचन कर धार्मिक पाठशाला का 25 वर्षों का सफर पूरा करना ऐतिहासिक है। जिनशासन की पताका लहराए वैसे संस्कार पाठशाला में गूँजते रहेंगे।
उन्होंने कहा कि व्यावहारिक शिक्षा के बोझ तले धार्मिक शिक्षा व संस्कार पूरी तरह से दबते जा रहे हैं ऐसे में आत्मोन्नति के मार्ग पर आगे कैसे बढे? इन्ही प्रश्नो का उत्तर खोजने के सार्थक प्रयास का नाम श्री वासुपूज्यस्वामी जैन धार्मिक पाठशाला है।
आचार्य श्री ने आगे कहा कि 25 वर्ष पहले स्थापित इस पाठशाला ने 25 चारित्र संपन्न साधु – साध्वी भी समाज को दिए, जिसमे कई ज्ञानी साधु साध्वी शामिल है।
पाठशाला के मुख्य अध्यापक मीठालालजी ने कहा की पाठशाला की सफलता का श्रेय ट्रस्ट मंडल, उदारमना व्यक्तियों, गुरुओं और अभिभावकों को जाता है जो अपने बच्चों को यहां भेजते हैं।कार्यक्रम में उत्तीर्ण विद्यार्थी पुरस्कृत किये गए।
कार्यक्रम में संगीत की प्रस्तुति पाठशाला के अभ्यासकों, महिला एवं बालिका मंडल द्वारा दी गयी। व्यवस्था श्री वासुपूज्यस्वामी जैन सेवा मंडल ने संभाली। कार्यक्रम के पश्चात साधर्मिक भक्ति का आयोजन भी किया गया।