ताम्बरम जैन स्थानक में साध्वी धर्मलता एवं अन्य साध्वीवृंद के सान्निध्य में मरुधर केशरी मिश्रीमल की जन्म जयंती मनाई गई। इस मौके पर साध्वी ने कहा मरुधर केशरी मिश्रीमल ने बीस साल की अवस्था में ही संयम अंगीकार करने के बाद जैन और अन्य धर्मों का तलस्पर्शी अध्ययन किया। नौ भाषाओं का ज्ञान करके जीवन मेें नौ ही पदों पर आसीन हुए। उन्होंने 180 रचनाएं की। वे स्वभाव से कडक़ लेकिन हृदय से पूरे दया से ओतप्रोत थे। उन्होंने हम सभी गुरु की दौलत हैं, गुरु की नसीहत ही हमारी असली वसीयत है। साध्वी वरिष्ठ प्रवर्तक रूपमुनि के जीवन पर भी प्रकाश डालते हुए कहा गुुरुदेव जीवदया प्रेमी, देश व समाज सेवा में अग्रणी थे। उन्होंने हजारों परिवारों को व्यसनमुक्त कराया। इस मौके पर सजोड़े जाप, सामायिक का तेला व सामूहिक एकासन का आयोजन हुआ। रक्षाबंधन के बारे में साध्वी ने कहा यह भारतीय संस्कृति का लौकिक पर्व है जिसके पीछे प्रत्येक ...