गोपालपुरम

स्वधर्मी वात्सल्य सम्यग् दर्शन का आचार है: कपिल मुनि

गोपालपुरम स्थित छाजेड़ भवन में विराजित कपिल मुनि ने स्वधर्मी वात्सल्य सम्यग् दर्शन का आचार है जिससे व्यक्ति का सम्यग् दर्शन परिपुष्ट होता है। अपनी स्वार्थपूर्ति और अहम् पुष्टि में संपत्ति का उपयोग दुरुपयोग मात्र है। सजगता और सेवा भावना से ओतप्रोत जीवन ही सही मायने में जीवन है जिसके चारों तरफ शांति और समता का निवास होता है।  पर्यूषण के चौथे दिन कहा जीवन तो एक समझौते का नाम है इसलिए सामंजस्य करके ही जीवन यात्रा तय करने में भलाई है।  सबके प्रति प्रेम और मैत्री का व्यवहार और परस्पर सहयोग की भावना से जीना ही सफल और सार्थक जीवन की निशानी है। अपनी अर्जित सम्पदा का सम्यक उपयोग तभी होगा जब विपन्न व्यक्ति को संपन्न बनाने की दिशा में कुछ उपक्रम किया जाएगा।  इस संसार में प्रत्येक आदमी के साथ समस्याएं हैं। व्यक्ति का पुण्य कमजोर व कर्म भारी है। उग्र पुरुषार्थ और व्यवस्थित आयोजन करने के बावजूद जीवन प्रत...

आत्म स्मरण और जागरण का पर्व है पर्यूषण: कपिल मुनि

यहा गोपालपुरम स्थित छाजेड़ भवन में विराजित कपिल मुनि ने पर्वाधिराज पर्यूषण की शुरुआत पर कहा हमारा यह सौभाग्य है कि हमें पर्व प्रधान देश की संस्कृति में जन्म लेने का अवसर मिला है। पर्व पावनता के प्रतीक होते हैं। पर्यूषण पर्व एक लोकोत्तर पर्व है जिसका सन्देश और उद्देश्य आत्मा का शुद्धिकरण है। ये पर्व आत्म स्मरण और आत्म जागरण की पावन वेला है। इन ८ दिनों में अपनी आत्मा का हित चाहने वाले को देह के धरातल से ऊपर उठकर चेतन के धरातल पर जीने का पुरुषार्थ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि इस लोकोत्तर पर्व को रीति रिवाज के तौर पर नहीं हार्दिकता से मनाना चाहिए। यह पर्व जीवन के लिए वरदान बने इसके लिए जीवन में धर्म की प्रेरणा का प्रकाश और आत्मगुणों के विकास के लिए वीतराग वाणी का श्रवण करना जरूरी है। इस संसार में सत्ता, संपत्ति, सम्मान और संतान सभी को प्रिय है लेकिन तत्वदर्शियों ने गहन चिंतन करके इन सभी को नश्व...

जिनशासन के शृंगार और सजग प्रहरी थे मरुधर केशरी: कपिल मुनि

गोपालपुरम में लॉयड्स रोड स्थित छाजेड़ भवन में कपिल मुनि की निश्रा में श्री जैन संघ, गोपालपुरम के तत्वावधान में शनिवार को श्रमण सूर्य मरुधर केशरी मिश्रीमल की 128 वीं जयंती जप-तप की आराधना के साथ समारोहपूर्वक मनाई गई। इस मौके पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने एकासन, आयम्बिल, उपवास आदि तप की आराधना और 3-3 सामायिक साधना के द्वारा श्रद्धा प्रकट की। कपिल मुनि ने मरुधर केसरी के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कहा कि जनमानस के बीच मरुधर केशरी के नाम से लोकप्रिय मिश्रीमल उस दिव्य और भव्य महामना का नाम है जो जिनशासन के फलक पर सूरज की तरह चमकते रहे। वे जनमानस में व्याप्त अज्ञान के अन्धकार को छिन्न-भिन्न करने वाले प्रकाशपुंज महामानव और जिनशासन के सजग प्रहरी थे । उन्होंने संघ और समाज की बिखरी कडिय़ों को सदैव जोडऩे का अद्भुत कार्य किया। वे सही मायने में अहिंसा के आराधक और संघ समाज सुधारक थे। उन्होंने अपनी...

विपदा में संरक्षण देने वाला ही सच्चा मित्र: कपिल मुनि

चेन्नई. गोपालपुरम स्थित छाजेड़ भवन में विराजित कपिल मुनि के सानिध्य में रविवार को सर्व सिद्धि प्रदायक भक्तामर स्तोत्र जप अनुष्ठान हुआ जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया। जप अनुष्ठान के बारे मुनि ने बताया कि जप जीवन की अनमोल निधि है। जप से पवित्र आभामंडल का निर्माण होता है जो कि व्यक्ति के लिए सुरक्षा कवच का काम करता है। प्रतिदिन नियमित रूप से चेतना की विशुद्धतम अवस्था को प्राप्त परमात्मा को नमन और उनके सद्गुणों का स्मरण करने से नमस्कार पुण्य का लाभ अर्जित होता है जिससे व्यक्ति की आंतरिक और बाहरी समृद्धि का विस्तार होता है। मुनि ने प्रवचन में कहा जिन्दगी में क्रांति और चेतना के रूपांतरण के श्रेष्ठतम विकल्प है – संत समागम और वीतराग वाणी का श्रवण। संत समागम से जीवन जीने की समुचित कला का ज्ञान मिलता है। आध्यात्मिक बल को प्राप्त करने की प्रेरणा मिलती है। संसार में शक्ति के ...

जीवन की सफलता के लिए उदारता को अपनाएं: कपिल मुनि

चेन्नई. गोपालपुरम स्थित छाजेड़ भवन में विराजित कपिल मुनि ने कहा इंसान का जीवन एक तिजोरी के समान है इसमें सद्गुण रूपी आभूषण रखें व दुर्गण नहीं। कृपणता जीवन में उदारता के गुण को प्रकट नहीं होने देता। जहां उदारता है वहां मधुरता और सरसता का वास है। उदार व्यक्ति ही लोकप्रिय और भगवान की कृपा का पात्र बनता है। जहां सिर्फ संग्रह है वहां खारापन होता है। समुद्र इसका ज्वलंत उदाहरण है । नदी का पानी मीठा होता है क्योंकि वह वितरण करती है। कंजूस व्यक्ति बड़ा शोषण कर्ता भी होता है वह येन केन प्रकारेण धन संग्रह के लिए न्याय नीति, धर्म, कानून और मानवता सबकी बलि चढ़ा देता है ऐसा व्यक्ति न खुद चैन से जीता है और न किसी को चैन से जीते हुए को देख पाता है उसके सारे कृत्य जघन्य और अमानवीय बन जाते हैं । कंजूस के समान पाखंडी और क्रूर व्यक्ति ढूंढऩे पर भी नहीं मिलता। स्वयं के जीवन पथ को आलोकित करने के साथ दूसरों की ज...

जीवन की सफलता के लिए उदारता को अपनाएं: कपिल मुनि

चेन्नई. गोपालपुरम स्थित छाजेड़ भवन में विराजित कपिल मुनि ने कहा इंसान का जीवन एक तिजोरी के समान है इसमें सद्गुण रूपी आभूषण रखें व दुर्गण नहीं। कृपणता जीवन में उदारता के गुण को प्रकट नहीं होने देता। जहां उदारता है वहां मधुरता और सरसता का वास है। उदार व्यक्ति ही लोकप्रिय और भगवान की कृपा का पात्र बनता है। जहां सिर्फ संग्रह है वहां खारापन होता है। समुद्र इसका ज्वलंत उदाहरण है । नदी का पानी मीठा होता है क्योंकि वह वितरण करती है। कंजूस व्यक्ति बड़ा शोषण कर्ता भी होता है वह येन केन प्रकारेण धन संग्रह के लिए न्याय नीति, धर्म, कानून और मानवता सबकी बलि चढ़ा देता है ऐसा व्यक्ति न खुद चैन से जीता है और न किसी को चैन से जीते हुए को देख पाता है उसके सारे कृत्य जघन्य और अमानवीय बन जाते हैं । कंजूस के समान पाखंडी और क्रूर व्यक्ति ढूंढऩे पर भी नहीं मिलता। स्वयं के जीवन पथ को आलोकित करने के साथ दूसरों की ज...

संसार में मालिक नहीं मेहमान बनकर जीएं : कपिल मुनि

चेन्नई गोपालपुरम स्थित छाजेड़ भवन में विराजित कपिल मुनि ने कहा जीवन तो एक समझौते का नाम है इसलिए सामंजस्य करके जीवन यात्रा तय करने में ही भलाई है। सबके प्रति प्रेम और मैत्री का व्यवहार और परस्पर उपकार करते हुए सहयोग की भावना रखकर जीना ही सफल और सार्थक जीवन की पहचान है। सजगता और सेवा भावना से ओतप्रोत जीवन ही सही मायने में जीवन है। एक ऐसा जीवन जिसके चारों और शांति और समता का निवास होता है। इस संसार में हर आदमी के साथ समस्याएं हैं। व्यक्ति का पुण्य कमजोर है और कर्म भारी। उग्र पुरुषार्थ और व्यवस्थित आयोजन के बावजूद जीवन प्रतिकूलताओं से घिरा रहने वाला है। आदमी दुखी इसलिए है कि ये संसार उसके लिए अनुकूल नहीं है। हम सब कुछ अपने अनुकूल चाहते हैं और वैसा नहीं होने पर दुखी हो जाते हैं। हमें याद रहे कि हम इस संसार के मालिक नहीं बल्कि कुछ दिनों के लिए इस धरती पर मेहमान बनकर आये हैं। मेहमान की बात घर मे...

वाणी के श्रवण से मिलता है विवेक का प्रकाश

 कपिलमुनि के सान्निध्य में मनाई गुरु पूर्णिमा चेन्नई. गोपालपुरम स्थित छाजेड़ भवन में चातुर्मासार्थ विराजित कपिल मुनि ने शुक्रवार को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर शुरु किए गए चातुर्मासिक प्रवचन में कहा चातुर्मास आत्माराधना का सन्देश लेकर आया है, आराधना वही है जो सिद्धि प्राप्त कराए। आराधना करने वाला एक दिन आराध्य बन जाता है । साधना की सिद्धि के लिए द्रव्य, क्षेत्र, काल और भाव इन चार बातों की शुद्धि जरूरी है। काल की अपेक्षा से जप तप की आराधना के लिए ये चार माह का काल सर्वोत्तम है। चातुर्मास में जहां बारिश की झड़ी लगती है वहां महापुरुषों की अमृत वाणी का निर्झर निरंतर प्रवाहित होता है। जीवन में पानी जितनी ही वाणी श्रवण की उपयोगिता है। पानी बाहर के ताप का हरण करता है तो वाणी भीतर के आधि-व्याधि-उपाधि के संताप का शोषण करती है। संतों का संयोग खुश किस्मत वालों को ही मिल पाता है। संत समागम से जीवन की धार...

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