महावीर सदन में जैन दिवाकर विचार मंच युवा शाखा अधिवेशन कोलकाता. छुआछूत को मानना-अपनाना शर्मनाक है और यह साक्षात परमात्मा का अपमान करने के समान है। मानव की शारीरिक रचना समान है, सभी के शरीर में खून लाल है और जन्म के समय किसी के सिर पर कोई जाति नहीं लिखी होती। मानव जाति एक है लेकिन किसी कुल में जन्म लेने मात्र से किसी को हीन अथवा किसी को महान मान लेना घोर अज्ञानता का प्रतीक है। राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने महावीर सदन में अखिल भारतीय जैन दिवाकर विचार मंच नई दिल्ली युवा शाखा के अधिवेशन को संबोधित करते हुए शनिवार को यह उद्गार व्यक्त किए। अधिवेशन के दौरान युवाओं ने जाति से ऊपर उठकर मानवता का संकल्प लिया। उन्होंने कहा कि मानव जन्म से नहीं कर्म से महान होता है। मुनि ने वर्ण व्यवस्था परंपरा पर कहा कि चारों ही वर्ण हमारे अंदर छिपे हुए हैं। जब शरीर की सफाई करते हैं तब शूद्र हैं, लेनदेन करते समय वणिक, ...