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समय की महत्वत्ता: साध्वी संबोधि

समय की महत्वत्ता: साध्वी संबोधि

प्रभु परमात्मा का संदेश आगम के माध्यम “समय गोयम मा पमायए” अर्थात हे गौतम! समय मात्र का भी प्रमाद मत करो क्योंकि जो समय है वो हिं जीवन है और जो जीवन है बो हि समय है। हमें जितना समय मिला हुआ है वहीं हमारा जीवन है। शास्त्रकार के अनुसार जीवन, समय यह सब आत्मा के पर्यायवाची शब्द हैं। समय और आत्मा परस्पर जुडे हुए हैं। समय और जीवन का इतना अटूट संबंध है कि इन दोनों को हम अलग अलग नहीं कर सकते। हमारा अपना अस्तित्व है तो समय है। इसीलिए यह समझने की जरूरत है कि जीवन की सार्थकता का मतलब, जीवन को साधने का अर्थ, जीवन को व्यर्थ जाने न देना है। जीवन की उपयोगिता लेवे, हम प्रमादी न बने, हम समय का सदुपयोग करें क्योंकि समय के सदुपयोग से ही जीवन का सदुपयोग होता है।

अर्थात् जो रात्रियाँ और दिन बीत जाते हैं वे लौटकर वापस नहीं आते। इसलिए समय को साधने से जीवन साधा जाता है। समय सार्थक होता है तो जीवन सार्थक

होता है। प्रत्येक क्षण का उपयोग करने का अर्थ होता है. समय का उपयोग करना। इस तरह समय और जीवन दोनों आपस में जुडे हुए हैं।

 इसीलिए हमें जो समय, दिन-रात, मुहूर्त, घंटे मिले हैं उन्हें उपयोग में लाने से ही हमारा जीवन सार्थक हो जाता है। जीतना समय व्यर्थ जाता है उतना हमारा ही जीबन व्यर्थ चले जाता है।

बुध्दिमानों का समय ज्ञान और ध्यान में आनंद से व्यतीत होता है। लेकिन मूर्खा का समय व्यसनों में, नींद में या आलस्य और कलह में निकलता है। इस माध्यम से प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन को पढ सकता है कि मैं जीवन को सार्थक कर रहा हूँ या नहीं कर रहा हूँ। मैं जीवन को मूल्यवान बना रहा हूँ या नहीं बना रहा हूँ। यदि मेरा समय व्यर्थ जा रहा है तो समझ लो मेरा जीवन भी व्यर्थ जा रहा है।

इसीलिए ऐसा न सोचे कि हम धनवान होंगे तो यह कार्य करेंगे। बलवान होंगे तो यह कार्य करेंगे क्योंकि समय निकल रहा है। जहाँ हम मौजूद हैं उसे हम कैसे सार्थक बना सकते हैं यह देखना होगा। प्रार्थना, करने से हम समय सार्थक कर सकते हैं। स्वाध्याय करने से, धर्म चर्चा करने से हम समय को उपयोगी बना सकते हैं। मन, वचन, काया का सही उपयोग करने से भी हम समय को सार्थक कर सकते हैं। कहा है-

“Time and tids waits for none”

समय और लहरें कभी लौटकर नहीं आती। हम जिस समय जहाँ मौजूद है उस समय वहीं कुछ अच्छा काम करने का निमित्त मिले Chance मिले तो कर लेना चाहिए, इसी में जीवन की सार्थकता है। जिस दिन हमने अच्छे कार्य किए हैं वे दिन लौटकर पुनः हमारे जीवन में आनेवाले हैं। वे व्यर्थ नहीं होने वाले हैं। अनेक गुणा अच्छे होकर आनेवाले हैं।

यदि हमने एक शब्द भी अच्छा बोला हो, अच्छा सोचा हो वोहिं हमारे जीवन में सुखशांति देने वाला है। जितना समय हमारा निंदा, चुगली, बुराई करने में चले गया, दोष दर्शन में चला गया वोहिं हम हमारे जीवन में बो रहे हैं। जब लौटकर आएगा तो हमारे जीवन में वही लौटकर आएगा जो हमने बोया है। यह छोटा-सा सूत्र यदि जीवन में समझ आ आए तो हमारा हररोज का जीवन परोपकार, सेवा, तप, त्यागादि में बीतेगा।

  समाज की सेवा है, परोपकार का कार्य है। यह हमारे हाथों से कभी बिना फल दिए जानेवाला नहीं है। इसीलिए हम कभी न सोचे समय आने पर करेंगे। जो मौका मिला हुआ है उसका सदुपयोग करना सीखें।

जैसे सोने का प्रत्येक धागा बहुमूल्य होता है वैसे ही समय का प्रत्येक क्षण बहुमूल्य होता है।

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