नार्थ टाउन में चातुर्मासार्थ विराजित गुरुदेव जयतिलक मुनिजी ने प्रवचन में फरमाया कि आत्मबन्धुओं, जिनेश्वर देव की आज्ञा में ही धर्म है। मात्र उनकी आज्ञा का पालन कर से धर्म सहज ही हो जाता है। धर्म ध्यान करते धर्म की रूप की परिभाषा स्वतः ही समझ आ जाती है धर्म की परिभाषा जानते हुए यदि प्रभु की आज्ञा को पालन नहीं किया तो उसका फल प्राप्त नहीं होता ।भगवान की आज्ञा पर तर्क-वितर्क मत करो।
किसी भी देश में रह कर भी यदि प्रभु आज्ञा का पालन किया तो मुक्ति निश्चित है सर्वविरति वाले जीवन पर्यन्त के लिए धर्म ध्यान करते हैं देशविरति वाले अपनी अनुकूलता अनुसार धर्म ध्यान करते है पर दोनों ही मोक्ष मार्ग के अनुयायी है। कर्मों के पास लिहाज नही होता कर्म सभी को भोगने ही पड़ते है। ज्ञानीजन कहते है कि निरपराधी हिसां हो ऐसी झूठी गवाही नही देना।
ज्ञानी जन कहते है एक एक बात को समझ कर इस धारण करने योग्य धारण करो और त्याग करने योग्य त्याग करो। किसी पर मायाचारी, कुचारित्र का कलंक नहीं लगाना। झूठा कलंक लगाने से उस जीव के प्राणों का घात हो सकता है। इसलिए ऐसा लांछन नहीं लगाना चाहिए ऐसा करने से कर्म बंध कर जीव सातवीं नारकी तक जा सकता है। अच्छी बात हो तो प्रकट करो। कोई बात जिसमें शर्मिंदा होना पड़े ऐसी बात प्रकट नहीं करनी चाहिए। राज्य के विरुद्ध कोई कार्य नहीं करना नहीं। पति पत्नी का रिश्ता संसार में एक कच्चे धागे के समान नाजुक होता है। परन्तु क्रोध बुद्धि पर आवरण डाल देता है तो व्यक्ति की हर क्रिया गलत हो जाती है क्रोध में लिया गया निर्णय भी गलत हो जाता है। कषाय कि की अग्नि के कारण नाजुक रिश्ते भी झुलस जाते है और टूट है। धन की समस्या के कारण घर में क्लेश उत्पन्न हो जाता है। अशुभ कर्मो का उदय होने से व्यक्ति की सुख शान्ति चली जाती है। शुभ कर्मों के उदय से सुख-शान्ति शान्ति पुन: लौट आती है।
यस यस जैन संघ नार्थ टाउन द्वारा आचार्य जयमलजी म सा की जयंती के उपलक्ष्य में एकासन दिवस मनाया गया जिसमें करीब 500 लोगों ने एकासन किया।
सम्पूर्ण एकासन तप एवं प्रभावना के लाभार्थी परिवार पेरम्बूर निवासी कमलाकुमारी पारसमलजी बोहरा, के. एम. ज्वेलर्स रहे।
अध्यक्ष अशोक कोठारी ने संचालन करते हुए सूचना दी कि रविवार को आचार्य जयमल जी महाराज साहब की जयंती महोत्सव के रूप में मनाई जाएगी।