तपदिवस पर पद्मावती एकासना में 909 श्राविकाओं ने दिया योगदान
बेंगलुरु। विश्वविख्यात अनुष्ठान आराधिका, शासनसिंहनी साध्वीश्री डॉ कुमुदलताजी ने शुक्रवार को तप दिवस के अवसर पर कहा कि ज्ञान, दर्शन, चरित्र और तप मोक्ष मार्ग पर जाने का सुगम रास्ता है। उन्होंने श्रावणी मास में प्रत्येक शुक्रवार को मां पद्मावती एकासना में 909 महिलाओं के द्वारा सामूहिक रूप से तपस्या रूपी श्रद्धा अर्पण की अनुमोदना करते हुए आशीर्वादी मांगलिक प्रदान किया।
स्थानीय वीवी पुरम स्थित महावीर धर्मशाला में गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के तत्वावधान में अपने दैनिक प्रवचन में साध्वीश्री ने कहा कि संतों के प्रभाव एवं आभामंडल से तप की ऊर्जामयी ताकत अपना सकारात्मक और चमत्कारी असर दिखाती है। यही नहीं बुरे कर्म करने वाले भी अपने हथियार संतों की निश्रा में छोड़ देते हैं।
उन्होंने भगवान महावीर के अहिंसा परमो धर्म सहित पर्यावरण संरक्षण, जल तत्व को बचाने व किसान की खुशहाली के संदेश की विस्तार से व्याख्या की। साध्वीश्री ने वास्तु कला एवं दिशाओं के महत्व पर भी प्रकाश डाला। साथ ही कहा कि जीवन में किसी भी प्रकार की खुशी चाहिए तो मूर्तियों को पूजने से पहले अपने माता-पिता की सच्ची श्रद्धा से पूजा सम्मान करना चाहिए। इससे पूर्व साध्वीश्री महाप्रज्ञाजी ने गीतिका के माध्यम से प्रत्येक श्रद्धालु को उनकी बुराइयों को गुरु के चरणों में समर्पित कर सकारात्मक एवं सफल जीवन जीने की सीख दी।
साध्वीश्री पद्मकीर्तिजी ने कहा कि धर्म का सहारा लेकर ही जीवन को सफल बनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि व्यक्ति के जीवन में कितनी दुविधाएं आए घबराना नहीं चाहिए, क्योंकि किसी प्रकार की ठोकर या असफलता आगे बढ़ने के लिए चुनौती ही होती है। व्यक्ति को अपनी सोच को सकारात्मक एवं श्रेष्ठ रखनी चाहिए। साध्वीजी राजकीर्तिजी भी मंच पर मौजूद थे। समिति के मंत्री चेतन दरडा ने बताया कि धर्म सभा में तमिलनाडु प्रांत के चेन्नई गुमड़ीपुंडी व राजस्थान के अनेक शहरों से श्रद्धालुओं ने प्रवचन श्रवण का लाभ लिया।
उन्होंने बताया कि गुमड़ीपुंडी संघ के मंत्री महावीर सांखला ने अपने विचार रखे तथा उनके साथ आये 35 सदस्यीय दल ने गुमडीपुण्डी में निर्माणाधीन जैन भवन के उद्घाटन सानिध्य की साध्वीवृन्द से विनती भी की।
समिति के सह मंत्री अशोक रांका ने बताया कि इस अवसर पर अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शांतिलाल सांड, मीठालाल भंसाली, गौतमचंद धारीवाल व वैया वच्च विहार सेवा के चेयरमैन रतन सिंघी, सुरेश लाल समदड़िया सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने प्रवचन का लाभ लिया।अतिथियों एवं तपस्या करने वाले श्रद्धालुओं का समिति पदाधिकारियों द्वारा सत्कार किया गया।
अशोक रांका ने बताया कि जय जिनेंद्र प्रतियोगिता के विजेताओं में क्रमशः प्रमिला जैन, विमला पोरवाल व धर्मेंद्र कोठारी को पुरस्कृत किया गया। अशोक कुमार गादीया ने संचालन किया। सभी का आभार समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष नथमल मुथा ने जताया।