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शांति का संदेश देने वाले भगवान के समान हैं आचार्य महाश्रमण : वी नारायण स्वामी

पुदुचेरी. अपनी अहिंसा यात्रा के तहत पुदुचेरी पहुंचे आचार्य महाश्रमण का स्वागत पुदुचेरी के मुख्यमंत्री वी. नारायणसामी ने किया। उनके साथ राज्य के डिप्टी स्पीकर डी.पी. शिवकोलुन्दु तथा पूर्व शिक्षा मंत्री एस.पी. शिवकुमार ने भी आचार्य के दर्शन किए।

शनिवार को विवेकानंद हायर सेकेण्डरी स्कूल के सरस्वती महल स्थित सभागार में आचार्य के दर्शन के बाद नारायणसामी ने उनका स्वागत करते हुए कहा कि आचार्य महाश्रमण उत्तर भारत और पूर्वोत्तर भारत में अहिंसा यात्रा के संदेशों को प्रसारित करते हुए हमारे राज्य में पहुंचे हैं। भगवान महावीर के समान ही आचार्य भी लोगों को शांति का संदेश दे रहे हैं इसलिए वे भी भगवान के समान हैं।

आचार्य हमें आशीर्वाद प्रदान करें कि हमारे प्रदेश में शांति और सौहार्द हमेशा बना रहेे, सभी लोग सुखी बनें। डिप्टी स्पीकर डी.पी. शिवाकोलुन्दु व पूर्व शिक्षामंत्री एस.पी. शिवकुमार ने भी आचार्य का स्वागत किया।

इसके पहले आचार्य ने उपस्थित श्रद्धालुओं और राज्य के मुख्यमंत्री सहित अन्य गणमान्य लोगों को कहा कि लोभ को पाप का बाप कहा गया है। लोभी को समस्त पापों का जनक कहा जाता है क्योंकि लोभ के कारण ही हिंसा, हत्या, चोरी, झूठ, बेईमानी आदि कुकर्म करने को मनुष्य तैयार हो जाता है।

इसलिए आदमी को लोभ कम करने का प्रयास करना चाहिए। लोभ को संतोष द्वारा जीतने का प्रयास करना चाहिए। लोभ भाई-भाई के प्रेम को तोड़ देता है।
आचार्य ने मुख्यमंत्री सहित अन्य लोगों को जैन धर्म, साधुचर्या और अहिंसा यात्रा के विषय में जानकारी देते हुए कहा कि किसी भी राज्य के विकास के लिए भौतिक, आर्थिक और शैक्षिक विकास जरूरी है उसी तरह लोगों में नैतिकता और आध्यात्मिकता का विकास भी होना चाहिए, तभी व्यक्ति का सर्वांगीण विकास कहा जा सकता है।

यहां के लोगों में धर्म की प्रभावना हो, नैतिकता का विकास हो लोगों के मन में खूब शांति रहे। महाश्रमणी साध्वीप्रमुखा ने भी संबोधित किया। पुदुचेरी उपसभा के अध्यक्ष हेमराज कुण्डलिया, राजुल ढढ्ढा, संजू बरडिय़ा और धनसुख सेठिया ने विचार व्यक्त किए। बालिका मनीषा बोथरा ने श्लोक का उच्चारण किया। छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट के जज गौतम चोरडिय़ा ने भी आचार्य के समक्ष अपने विचार व्यक्त किए।

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