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ज्ञान वाणी

युगप्रभावकाचार्य जयन्तसेनसूरिजी का मनाया 83 वाँ जन्मोत्सव

युगप्रभावकाचार्य जयन्तसेनसूरिजी का मनाया 83 वाँ जन्मोत्सव
चैन्नई के राजेन्द्र भवन में युगप्रभावकाचार्य श्री जयन्तसेनसूरिजी के 83 वें जन्मोत्सव प्रसंग गुरु गुणानुवाद करते हुए मुनि संयमरत्न विजयजी,श्री भुवनरत्न विजयजी ने कहा कि गुरु शब्द का अर्थ ही भारी होता है।गुरु शब्द भले ही छोटा हो,मगर उसका प्रभाव बड़ा भारी होता है,इसलिए हम सभी गुरु के आभारी है।जिस प्रकार इंद्र  सभी पर समान रूप से वर्षा करता हैं, वैसे ही गुरु भी सब पर समान रूप से कृपा बरसाते हैं, जिसकी जैसी पात्रता होती है,वह वैसा ही फल प्राप्त कर लेता है।
दुनिया में ऐसा कोई व्यक्ति नहीं है,जिसको कोई समस्या न हो और व्यक्ति पर कोई ऐसी समस्या नहीं जिसका कोई समाधान न हो।हमारे जीवन में आयी समस्त समस्याओं का समाधान सद्गुरु करता है।इस युग के प्रभावक आचार्य श्री जयन्तसेनसूरिजी का जन्म वि.सं. 1993 की मगसर वदी-तेरस को गुजरात स्थित बनासकांठा जिले के पेपराल गांव में हुआ था।वि.सं. 2010 में मात्र 17 वर्ष की आयु में राजस्थान की सियाणा नगरी में आचार्य यतीन्द्र सूरिजी से दीक्षित होकर मुनिराज श्री जयंत विजयजी बने।
वि.सं.2040 में भांडवपुर तीर्थ में आचार्य पद प्राप्त कर आचार्य जयन्तसेन सूरिजी के नाम से विख्यात हुए।राष्ट्रीय स्तर पर शासन प्रभावक कार्यों को देखकर राष्ट्रपति शंकरदयाल शर्मा ने आचार्य श्री को राष्ट्रसंत की पदवी प्रदान कर सम्मानित किया।संघ समाज राष्ट्र में आए हुए बिखराव को दूर कर सर्वत्र शांति का वातावरण बनाने से ये संघ एकता शिल्पी भी बनें।
द्विशताधिक मुमुक्षुओं को संयम प्रदान कर ये संयम दानेश्वरी भी बने।अप्रमत्त भाव में रहकर आचार्य श्री ने अनेकों ग्रंथों का निर्माण करने के साथ ही अभिधान राजेन्द्र विश्वकोष का पुनः प्रकाशन भी करवाया।परिणाम स्वरूप ‘साहित्य-मनीषी’ भी इनकी एक नयी पहचान बनी।भारत वर्ष में 60 वर्ष पूर्व नवकार महामंत्र की नवदिवसीय विधिपूर्वक आराधना प्रारंभ कराने का श्रेय भी इन्हें जाता है।जो देशभर में ही नहीं अपितु जापान में भी श्रावण मास के दौरान आज भी चल रही है।संपूर्ण जैनदर्शन को सरल रूप में दर्शाने वाला अद्भुत स्वस्तिक आकार में निर्मित म्युजियम मोहनखेड़ा तीर्थ में आज भी अलौकिक रूप से सामान्य जन को प्रतिबोधित कर रहा है।
म.प्र. के रतलाम शहर में ऐतिहासिक अंतिम चातुर्मास संपन्न किया, परिणाम स्वरूप नगरवासियों ने आचार्य श्री को ‘लोकसंत’ के नाम से संबोधित किया।अंत में वि.सं.2074 में जालोर जिले के भांडपुर तीर्थ में समाधिस्थ होकर मोक्षमार्ग की ओर प्रयाण किया।ऐसे युगपुरुष के जन्मोत्सव प्रसंग पर आयोजित एक्यूप्रेशर स्वास्थ्य शिविर में 50 से अधिक लोगों ने स्वास्थ्य लाभ प्राप्त किया। इस मौके पर नरेंद्र काका,दिलीप वेदमुथा,गौतम सेठ ने भी अपने भाव प्रकट किए।सभी ने मुनिराज श्री अमृतरत्न विजयजी को श्रद्धांजलि अर्पित की।दोपहर में आचार्य जयन्तसेनसूरि अष्टप्रकारी महापूजन पढ़ाई गयी।

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