ताम्बरम जैन स्थानक में विराजित साध्वी धर्मलता ने कहा गा। जैसी डाई होगी वैसा ही चित्र बनेगा। संतान को संस्कारित करने के लिए सुविधा नहीं संस्कार दीजिए। पैसा नहीं प्रेम व वात्सल्य देना चाहिए। मोबाइल नहीं मैनर्स देना जरूरी है।
जीवन को अहंकार से हटाकर संस्कारित बनाना जरूरी है। बच्चों का मन कोरा कागज होता है। कोरे कागज पर जैसा चित्र बनाएंगे वैसा ही बन जाए
जिस प्रकार मकान की नींव पक्की होना जरूरी है वैसे ही बच्चे संस्कारित होंगे तो जीवन सफल होगा।
बच्चों को दब्बू नहीं शेर जैसा बनाने का प्रयास करना चाहिए। बच्चों को संस्कारित बनाने के लिए तीन बातें याद रखें- गलत संगत से बचें, गलत स्थानों से दूर रहें और गलत साहित्य पढऩे स बचें। साध्वी सुप्रभा ने अंतगड़सूत्र के वाचन में गजसुकुमाल मुनि का वर्णन किया एवं साध्वी अपूर्वा ने गीतिका सुनाई।
इस मौके पर बच्चों का फैंसी डे्रस प्रतियोगिता हुई जिसमें विजेताओं को पुरस्कृत किया गया। निर्णायक चंदनमल मुणोत व गौतम कटारिया थे। संचालन राखी विनायकिया ने किया।