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महापुरुषों के जीवन से सीख लें: साध्वी सिद्धिसुधा

महापुरुषों के जीवन से सीख लें: साध्वी सिद्धिसुधा

आनंद ऋषि, केवल मुनि, प्रभाकंवर की जयंती मनाई

चेन्नई. साहुकारपेट के जैन भवन में विराजित साध्वी सिद्धिसुधा के सान्निध्य में रविवार को आचार्य आनंद ऋषि की 120वीं, उपाध्याय केवल मुनि की 107वीं, साध्वी प्रभाकंवर की 12वीं जयंती और सम्पतमुनि की पुण्य तिथि मनाई गई। कार्यक्रम की शुरुआत संघ के अध्यक्ष आनंदमल छल्लाणी के स्वागत भाषण से हुई। सूरजबाई और प्रकाशबाई ने गीतिका प्रस्तुत की।

साध्वी सिद्धिसुधा ने कहा जो अपनी बुद्धि और वाणी से संसार के जीवों को सुख, शांति और साता का अनुभव करा दे उसे महापुरुष कहा जाता है। महापुरुषों की जयंती पर गुणानुवाद सभा का आयोजन होता है। गुणानुवाद के दौरान महापुरुषों के एक भी गुण अगर किसी व्यक्ति में आ जाए तो उसका कल्याण हो जाता है।

लेकिन उसके लिए मनुष्य की अंतर आत्मा से श्रद्धा और भक्ति के भाव उत्पन्न होने चाहिए। गुणानुवाद के दौरान ध्यान केंद्रित हो जाए तो जीवन से अंधकार दूर हो जाएगा। महापुरुषों ने अपनी सरलता, विनम्रता और सहनशीलता से ऊंचाई को प्राप्त किया और उनके इन्ही गुणों की वजह से आज भी लोग उन्हें याद करते हैं। महापुरुषों के गुणों को सुनने से नहीं बल्कि आत्मसात करने से जीवन में बदलाव होगा।

साध्वी सुविधि ने कहा कि आज के समय में लोग हद से ज्यादा वस्तुओं को महत्व देने लगे हैं। पहले के समय में जब मोबाइल का उपयोग नहीं था तो लोग एक दूसरे को समय देते थे और करीब थे। लेकिन जब से मोबाइल का चलन आया लोग दूर रहने वालों से तो करीब हुए पर करीबियों से दूर हो गए।

लोगों ने मोबाइल को एक वस्तु नहीं बल्कि अपना सब कुछ मान लिया है। उन्होंने कहा कि पहले के समय में लोगों को पुस्तकों से प्यार होता था, उसी से ज्ञान मिलता था और लोग आगे बढ़ते थे। लेकिन अब वह भी चलन समाप्त हो गया है। सभा में उपस्थित अतिथियों ने भी अपने विचार व्यक्त किए। इससे पहले भक्तामर अनुष्ठान की बोली भंवरलाल चोपड़ा ने ली।

कार्यक्रम में संघ के उपाध्यक्ष महावीर सिसोदिया, दुलीचंद छाजेड़, गौतमचंद दुगड़, मदन खाबिया और पदम कोठारी, दीपचंद लुनिया, पारसमल बलगट, केशरसिंह राजपुरोहित, दीपचंद कोठारी, बंसीलाल गुगलिया, खिमचंद गांधी, बाबुलाल बंसाली, महेश तालेडा, मदनलाल गादिया, किशन तालेड़ा और सुरेश ललवानी समेत अन्य गणमान्य उपस्थित थे।

पारसमल और गौतमचंद बोहरा परिवार का सहयोग सराहनीय रहा। प्रवीण नाहर के नेतृत्व में दोपहर एक बजे से चार बजे तक महापुरुषों के जीवन पर आधारित प्रतियोगिता आयोजित किया गया। कार्यक्रम का संचालन मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने किया।

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