साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने मरुधर केशरी मिश्रीमल की जयंती के अवसर पर शनिवार को उनका गुणगान गाते हुए कहा कि जीवन को पावन बनाने के लिए महापुरुषों ने धर्म का सुंदर संदेश देकर जीवन को सजाया है। महापुरुषों की जयंती मनाते हुए मनुष्य को उनके जीवन से प्रेरणा भी लेनी चाहिए। इससे मनुष्य को जीवन जीने का तरीका सीखने को मिलता है।
उन्होंंने कहा कि अपने जीवन में बदलाव करने के लिए ही महापुरुषों का जन्मदिवस मनाया जाता है। उनके द्वारा दी गई प्रेरणा को मनुष्य को अपने जीवन में उतार कर उनका अनुसरण करना चाहिए। इस प्रकार से मनुष्य भी अपना जीवन स्वच्छ कर सकता है। जीवन चारित्र से जीवन जीने की कला मिलती है, लेकिन यह तभी संभव है जब हम महापुरुषों के जीवन को जानेंगे।
मुनि ने कहा कि गुरु भगवंतों से ज्ञान प्राप्त करने के बाद मुनि मिश्रीमल ने लोगों में उस ज्ञान को बांटा था। अपने जीवन को बेहतर करना है तो धर्म के मार्ग पर ही चलना चाहिए। सागरमुनि ने कहा कि मनुष्य को चारित्र और तप इसी भव में मिलेगा, इसका पूरा लाभ उठाना चाहिए। ज्ञान की आराधना के साथ चारित्र की आराधना भी करनी चाहिए। क्योंकि मनुष्य भव में ही चारित्र की आराधना करना संभव है।
रक्षाबंधन पर्व
कोषाध्यक्ष गौतमचंद दुगड़ ने बताया कि रविवार सुबह 8 बजे गौतममुनि के सान्निध्य में भाई बहनों के त्यौहार रक्षाबंधन पर्व को धार्मिक क्रिया विधि एवं जैन संस्कारों द्वारा मनाया जाएगा। इस विशेष अवसर पर सोने की पांच राखियों एवं 11 रजत राखियों का लकी ड्रा निकाला जाएगा साथ ही 12 वर्ष तक के बच्चों के लिए विशेष पोशाक दी जाएगी।