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ज्ञान वाणी

प्रयास करने से होती है कर्म निर्जरा: गौतममुनि

प्रयास करने से होती है कर्म निर्जरा: गौतममुनि

साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा धर्म शासन को पाकर जो परमात्मा की वाणी को समझते हैं उनका जीवन सुधर जाता है।

प्रवचन में प्रत्येक व्यक्ति को आना चाहिए क्योंकि प्रवचन सुनते-सुनते कभी न क भी तो जीवन में बदलाव आएगा ही। इसलिए ऐसी वाणी सुनने का जब भी मौका मिले तो इसे गंवाने के बजाय संसार का प्रत्येक कार्य छोड़कर ऐसे मौकों का लाभ उठाना चाहिए। जीवन में बदलाव लाने के लिए अपना प्रयास कभी नहीं छोडऩा चाहिए। सीखे हुए ज्ञान को हमेशा दोहराते रहना चाहिए ताकि स्वाध्याय होता रहे।

यदि सीखे हुए ज्ञान का स्वाध्याय नहीं किया गया तो वह भूला जा सकता है। उन्होंने कहा मनुष्य अगर सब कुछ जानता है तो भी उसे सुनने की कोशिश करनी चाहिए क्योंकि हो सकता है वह जो जानता है उससे कुछ नया सीखने को मिल जाए। बोलने से ज्यादा सुनने में भरोसा रखना चाहिए।

जीवन में धर्म कथा सुनने से ज्ञान की वृद्धि होती है। यह स्वाध्याय का ही एक हिस्सा है जब भी मौका मिले लाभ लेते रहना चाहिए। सागरमुनि ने कहा आचरण व्यक्ति को ऊंचाई पर ले जाता है। पाप करने की वजह से आत्मा नरक की ओर बढ़ता है। यह सिर्फ लोभ की वजह से होता है।

लोभ कर मनुष्य स्वयं ही नरक का मार्ग खोलता है लेकिन अच्छे कर्म कर वह अच्छा भव प्राप्त कर सकता है। जीवन को सफल बनाना है तो लोभ, मोह, माया और क्रोध से खुद को दूर रखने की कोशिश करनी चाहिए। मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने संचालन किया।

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