चेन्नई. मनुष्य द्वारा किए गए कई भवों में पुण्य के बाद ही उसे एक संत का दर्शन मिलता है। पुण्य के बिना मनुष्य को देव गुरु के दर्शन नहीं होते। साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने सोमवार को कहा कि देव गुरु को देखकर मन में प्रसन्नता और दिल में खुशी मिलती तो समझो जीवन सफलता की ओर बढ़ रहा है। श्रेणिक अगर मुनियों को देखकर प्रभावित होते है तो उनकी भावना उत्तम होती है। गुरु भगवंतों को देख कर श्रावकों का मन खुश हो जाना चाहिए। महापुरुषों का व्यक्तित्व सामने वाले मनुष्य को प्रभावित कर देने वाला होता है।
उन्होंने कहा कि जब भी ऐसा अवसर मिले तो दुनिया के हर काम छोडक़र दर्शन के लिए तत्पर रहना चाहिए। उनके सेवा और भक्ति का आनंद लेना चाहिए। संतों का कार्य लोगों को धर्म से जोडऩे का होता है। महापुरुष चले जाते है लेकिन उनकी भावनाए हमेशा साथ होती है। यह कार्य तभी संभव होगा जब मनुष्य सदगुणों से भरा होगा। मनुष्य को अपने अंदर सदगुणों को बढ़ाना चाहिए।
उन्होंने कहा कि लोगों को किसी का बुरा नहीं देखना चाहिए। बुराई देखने वाला स्वयं के अंदर अवगुणों का भंडार बना लेता है। दूसरों की अच्छाई देखने से खुद के अंदर भी अच्छे भाव उत्पन्न होते है। जीवन में अगर अच्छा बनना है तो दूसरों में बुराई देखने के बजाय उनकी अच्छाई देखने की कोशिश करनी चाहिए। सागरमुनि ने कहा कि परमात्मा ने आचरण का उपदेश देकर मानव पर बहुत उपकार किए है। उनके उपदेशों का अनुसरण कर अपने जीवन में बदलावा लाने का प्रयास करना चाहिए।
उन्होंने कहा कि मनुष्य चाहे तो अपने अच्छे आचरण से आत्मा के अंधकार को दूर कर सकता है। जीवन में सफल होना है तो अंधकार रूपी जीवन से दूर होने की जरुरत है। अन्यथा समय चला गया तो जीवन में कुछ हासिल नहीं हो पाएगा। विनयमुनि ने मंगलपाठ सुनाया। संचालन पंकज कोठारी ने किया। कोषाध्यक्ष गौतमचंद दुगड़ ने बताया कि गौतम मुनि का मौन साधना एवं नवपद आयंबिल आराधना मंगलवार से शुरू होगा। श्रमण संज्ञीय सलाहकार सुमति प्रकाश महाराज की जन्म जयंती मंगलवार को मनाई जाएगी।
मौन साधना के उपरांत प्रथम दर्शन एवं महा मंगल पाठ दिनांक 25 अक्टूबर को होगा। उस दिन सहजोड़े जाप का आयोजन भी रखा गया है। इस दौरान उपप्रवर्तक विनय मुनि प्रवचन के अंदर श्रीपाल मैना सुंदरी चरित्र का वाचन करेंगे। दोपहर को विशेष नवपद जाप का आयोजन होगा जिसमें विभिन्न मुद्राओं में अलग-अलग दिन अलग-अलग रूप में कराया जाएगा।