चेन्नई. कोडम्बाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा ने कहा पापी से नहीं उसके पाप से नफरत करनी चाहिए। भगवान महावीर ने कहा है पाप से अगर नफरत की गई तो पापी उत्पन्न नहीं होंगे, पापी से नफरत करने पर पापी का खत्मा होना संभव नहीं है।
उन्होंने कहा कि अंतकृत दृश्य में आए वर्णन में अर्जुन मालीने मुहगरपाणि यक्ष के प्रभाव से 1141 व्यक्तियों की हिंसा की फिर भी मोक्ष चले गए। इतनी हिंसा करने वाला मनुष्य नरक में जाता है पर वे नहीं गए, क्योंकि सारे पापों के समापन और समता के परिणाम से वह भगवान के चरणों में दीक्षित हो गए।
उन्होंने आने वाले सभी दुख सहन किए इसलिए भगवान ने ऐसे पापी का भी सुधार कर दिया। इसलिए मनुष्य को पापी का नहीं बल्कि उसके अंदर के पापों का नाश करना चाहिए। वर्तमान में लोग अगर कोई गलती कर देता है तो उससे बात करना बंद कर देते हैं।
अगर गलती करने वालों से बात करते हुए सुधार की जाए तो उसके अंदर के पाप अपने आप ही दूर हो जाएंगे। जीवन में आगे जाना है तो पापी व्यक्ति से नहीं बल्कि उसके अंदर के पापों को दूर करने की कोशिश करें।
इस मौके पर महिलाओं ने भगवान नेमिराजुल पर नाटिका प्रस्तुत की। संघ अध्यक्ष बुधराज भंडारी व देवीचंद बरलोटा समेत अन्य पदाधिकारी भी उपस्थित थे।