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ज्ञान वाणी

देने का भाव ही सर्वश्रेष्ठ: स्वाध्यायी प्रेमलता

एसएस जैन संघ मदुरान्तकम में पर्यूषण पर्व पर पधारे स्वाध्याय संघ की स्वाध्यायी प्रेमलता बंब ने कहा शास्त्रों ने देने के भाव को श्रेष्ठ कहा है। प्रकृति के नियम भी यही कहते हैं कि जो देता है वो पाता है। जो रोकता है वो सड़ता है।

देने वाले निस्वार्थ होते है, अपना सब कुछ लुटाने के बाद भी उनको आंतरिक संतुष्टि और सुख की अनुभूति होती है। देने से जो दुआएं मिलती हैं उसके सामने बड़े से बड़ा भौतिक सुख भी फीका पड़ जाता है इसलिए हमें देने का संस्कार अपने भीतर उजागर करना चाहिए और आने वाली पीढ़ी में भी इसके लिए जागरूकता बढ़ानी चाहिए।

आज के समय में यह दुर्भाग्यपूर्ण सत्य है कि हम अपना उचित हिस्सा दिए बिना सामने वाले से सिर्फ लेने का कार्य करते हैं। जब आप किसी को देते हैं तो आप उसकी ही नहीं खुद की नजर में भी बड़े बन जाते हैं। विश्वास रखने वाले की झोली कभी खाली नहीं होती, प्रकृति हमेशा उसकी भरपाई करती है। संचालन संघ महामंत्री प्रफुल्ल कोटेचा ने किया।

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