रूपचंद की 14वें जयंती व प्रथम पुण्यतिथि मनाई
चेन्नई. कोडमबाक्कम-वड़पलनी जैन भवन में विराजित साध्वी सुमित्रा के सानिध्य में गुरुवार को शेरे राजस्थान गुरुदेव रूपचंद की ९४वां जयंती और प्रथम पुण्यतिथि मनाया गया। इस मौके पर साध्वी सुमित्रा ने कहा कि गुरूदेव का जीवन बहुत ही सरल था। सरल स्वभाव की वजह से ही आज भी उन्हें याद किया जाता है। उन्होंने जीवों और मानव सेवा में अपना पूरा जीवन लगाया।
उनके जीवन की अगर एक भी बात मनुष्य के मन में घर कर ले तो उसका पूरा जीवन बदल जाएगा। अपने शब्दों, विचारों और सहनशीलता की वजह से मनुष्य एक दिन महान बनता है। महापुरुषों के पुण्यतिथि और जयंती पर गुणानुवाद का आयोजन मनुष्य जीवन को बदलने के लिए होती है। उन्होंने तो महान कार्यो से अपने जीवन की नैया पार कर ली अब मनुष्य को देखना है कि वह किस ओर बढ़ रहा है।
उन्होंने कहा कि मांगने और छिनने से महानता नहीं मिलती, बल्कि यह तो मनुष्य के कर्मो के हिसाब से मिलती है। वर्तमान में लोगों को सिर्फ अपना फायदा दिखता है। लेकिन महापुरुषों ने अपना जीवन सिर्फ दूसरों के कल्याण में निकाल दिया। रूपचंद का भी जीवन वैसा ही सुंदर था। उनके विचार जितने सुंदर थे उनका स्वभाव भी उतना ही सरल था।
उन्होंने कहा कि वर्तमान में मनुष्य अपने स्वभाव की वजह से घर में ही अच्छा तालमेल नहीं बना पाता है। लेकिन याद रहे कि मनुष्य का स्वभाव ही उसके व्यक्तित्व को दर्शाने का कार्य करती है। अगर हमारा स्वभाव दूसरों के प्रति अच्छा रहेगा तो दूसरे भी अच्छा बर्ताव करेंगे। मनुष्य को अच्छा पाना तो बहुत अच्छा लगता है लेकिन अच्छा करना नहीं जानते।
अगर अच्छी चीज पसंद करते है तो वैसा ही बनना पड़ेगा। महापुरुषों के जीवन की एक भी बातें अगर सही मायने में मन में उतार ली जाए तो जीवन का कल्याण होना संभव हो जाएगा। इस मौके पर श्रावक श्राविकाओं ने तप त्याग के साथ जयंती मनाई।
इस अवसर पर जयंती श्राविका महिला मंडल के द्वारा ENT कैंप लगवाएं और उट्टूकोत्तई एंव श्रीपेरंबदूर गौशाला में चारा डालवाये गऐ.