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ज्ञान वाणी

जीवन में शक्ति के सदुपयोग का करें प्रयास: आचार्यश्री महाश्रमण

जीवन में शक्ति के सदुपयोग का करें प्रयास: आचार्यश्री महाश्रमण
आवुर, तिरुवन्नामलई (तमिलनाडु): तमिलनाडु राज्य में भले ही हिन्दी भाषा अपनी संप्रभुता न जमा पा रही हो, किन्तु सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति जैसे मंगल संदेशों को लेकर दक्षिण भारत में गतिमान अहिंसा यात्रा प्रणेता, शांतिदूत आचार्यश्री महाश्रमणजी की अहिंसा यात्रा ने लोगों की भावनाओं को आप्लावित करने लगी है और स्थानीय लोग भी उससे प्रभावित हो रहे हैं। भाषाई दूरी के बावजूद लोग आचार्यश्री की मंगलवाणी को सुनने के लिए पहुंचते हैं।
आचार्यश्री के बारे में जब उन्हें जानकारी होती है तो उनके भीतर श्रद्धा के भाव और प्रभावी होते हैं और वे श्रद्धा से प्रणत होकर आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त करने के साथ ही अहिंसा यात्रा के संकल्पों के साथ भी स्वतः ही जुड़ते चले जा रहे हैं। आचार्यश्री जिस गांव, नगर, शहर से गुजर रहे हैं, लोग आचार्यश्री के दर्शन के लिए लालायित नजर आ रहे हैं। लोग आचार्यश्री के दर्शन प्राप्त कर मानों एक आध्यात्मिक आनंद की अनुभूति महसूस करते हैं।
 
शनिवार को आचार्यश्री अपनी अहिंसा यात्रा का कुशल नेतृत्व करते हुए नल्लान पिल्लई पेट्रोन स्थित अरुणई काॅलेज आॅफ एजुकेशन परिसर से प्रस्थान किया। आज आसमान में बादलों की उपस्थिति ने सूर्य को अदृश्य कर दिया था। इस कारण मौसम में हल्की ठंडक थी, जो लोगों को सुखानुभूति करा रही थी। मार्ग के दोनों किनारे दूर-दूर तक फैले खेतों में छाई हरियाली मोहक दृश्य उत्पन्न कर रही थी। कहीं खेतों में धान की फसल लगी हुई तो कहीं गन्ने की फसल तैयार खड़ी थी।
कहीं गन्ने की कटाई कर उसे वाहनों में भर ले जाने का काम चल रहा था। किसान अपने खेतों में लगे हुए थे। इस बीच सड़क मार्ग से गुजरती अहिंसा यात्रा और आचार्यश्री को जैसे ही लोग देखते अपना काम छोड़ मार्ग के निकट पहुंच रहे थे और आचार्यश्री से पावन आशीर्वाद प्राप्त कर रहे थे। आचार्यश्री खुशनुमे मौसम में लगभग दस किलोमीटर का विहार कर आवुर स्थित सेक्रेड हार्ट मैट्रिकुलेशन स्कूल में पधारे। 
विद्यालय परिसर में उपस्थित श्रद्धालुओं को आचार्यश्री ने पावन प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के जीवन में त्याग और संयम होना चाहिए। इसके लिए आदमी को लोभ, गुस्सा, आवेश आदि से बचने का प्रयास करना चाहिए। त्याग-संयम से युक्त जीवन हो और जीवन में शक्ति का गोपन नहीं बल्कि उसका सदुपयोग करने का प्रयास हो तो जीवन अच्छा हो सकता है।
आदमी के जीवन में शक्ति की आवश्यकता होती है। बिना शक्ति के आदमी कोई भी कार्य भला कैसे सम्पन्न कर सकता है। आदमी को अपनी शक्ति का सदुपयोग करने का ही प्रयास करना चाहिए और कभी दुरुपयोग न हो, ऐसा प्रयास करना चाहिए। आदमी को अपनी शक्ति का प्रयोग दूसरों के कल्याण के लिए, किसी का परोपकार करने का प्रयास करना चाहिए। सज्जन आदमी अथवा संतों की विभूतियां परोपकार के लिए ही होती हैं। 
जो दूसरों को सुख देने का प्रयास करता है, उसे स्वतः सुख प्राप्त हो सकता है और जो दूसरों को दुःख, कष्ट देने का प्रयास करता है, उसे कभी दुःख भी प्राप्त हो सकता है। इसलिए आदमी को अपनी शक्ति का प्रयोग दूसरों के कल्याण में नियोजित करने का प्रयास करना चाहिए। आचार्यश्री ने तनबल, धनबल, जनबल, वचनबल और मनोबल का वर्णन करते हुए कहा कि आत्मबल सर्वोपरि शक्ति है। आदमी को अपने जीवन में शक्ति का प्रयोग करने का प्रयास करना चाहिए। 
मंगल प्रवचन के पश्चात् स्कूल की प्रिंसिपल सिस्टर जोस्वीन ने आचार्यश्री के समक्ष अपनी भावाभिव्यक्ति दी तो आचार्यश्री ने भी उन्हें मंगल आशीष प्रदान किया। 

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