चेन्नई. पेरम्बूर जैन स्थानक में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने कहा कि परमात्मा ने जीवन का स्वरूप समझाते हुए आत्मा में सदगुणों का संग्रह करने की प्रेरणा प्रदान की है। जितना पुरुषार्थ आत्म गुणों को बढ़ाने में होगा उतना ही मनुष्य का विकास होता चला जाएगा। ऐसा करके मनुष्य एक दिन स्वयं परमात्मा के पथ पर पहुंच सकता है।
उन्होंने कहा अपने जीवन में गुणों को बढ़ाने के लिए समय समय पर सत्संग का लाभ लेते रहना चाहिए। सुयोग्य जनों के साथ बैठ कर आत्मगुणों का चिंतन करने वालों का जीवन बदल जाता है। उन्होंने कहा जो मनुष्य जीवन में परमात्मा की वाणी सुन कर परमार्थ, भलाई, उपकार और पुण्य के कार्य करने में सावधानी बरतते हैं, उन्हें जीवन का सच्चा लाभ मिल जाता है। ज्ञानी कहते है कि धर्म को भुलने वालों की गति अच्छी नहीं होती है।
सुबह उठते ही जो परमात्मा की भक्ति, आराधना, सामयिक और भजन करते हैं उनका जीवन बदल जाता है। जो एक सामायिक की आराधना करता है उसे नर्क की ओर जाने की जरूरत ही नहीं होती। उन्होंने कहा धर्म कार्य करने वालों को नर्क नहीं बल्कि स्वर्ग के मार्ग मिलते है। लेकिन जो इन बातों को अपने जीवन में स्वीकार नहीं करते उनका जीवन नर्को की ओर बढ़ता चला जाता है।
जीवन मिला है तो इसका लाभ लेकर धर्म आराधना कर जीवन को सफल बना लेना चाहिए। सच्चा अर्थ पता चल जाने पर जीवन बदल जाता है। सागरमुनि ने भी उद्बोधन दिया। विनयमुनि ने मंगलपाठ सुनाया । इसी बीच अयनावरम स्थानक में नवकार मंत्र जाप किया गया। शुक्रवार को मुनिजन विहार कर एमकेबी नगर जैन स्थानक पहुंचेंगे और वहीं प्रात 9 बजे से प्रवचन होगा।