वेलूर. आरकाट के एसएस श्वेता बर जैन संघ के जैन भवन में विराजित ज्ञान मुनि ने शुक्रवार को एक धर्मसभा को संबोधित करते हुए कहा कि मनुष्य को जितना मिला है उसी में संतोष करना चाहिए। इस असार संसार को जब तक वास्तविकता का ज्ञान नहीं होगा यह असार नहीं लगेगा और वास्तविकता का ज्ञान तभी होगा जब संसार की आसाक्ति छूटेगी।
असाक्ति छूटे बिना यह संसार दुखमय एवं असार नहीं लगेगा। सुख प्राप्ति के लिए दौड़ रहे मानव को यह पता नहीं कि सुख बाहर नहीं उसके भीतर ही है। बाहरी भागदौड़ से सुख की प्राप्ति संभव नहीं है। भौतिक साधनों में सुख कभी नहीं मिल सकता। स्वयं आत्मचिंतन करें तो अहसास होगा कि सुख तो स्वयं के भीतर ही है। उसी में सुख का सागर बह रहा है। तृष्णा का दुख वर्तमान में ज्यादा है।
मन की इच्छाओं पर नियंत्रण करें। अगर जीवन की भागदौड़ को कम करना है तो तृष्णा पर नियंत्रण करें और संसार की आसक्ति का त्याग करें। जैन समाज के चारों स प्रदायों के युवाओं ने जिले में किसी भी स प्रदाय के मुनिगण व साध्वीवृंदों के नगर प्रवेश करने पर उनका भव्य स्वागत से लेकर सारी सुविधाएं मुहैया कराने के उदेश्य से वेलूर विहार सेवा समिति का गठन किया है। इस अवसर पर युवाओं ने आरकाट में विराजित ज्ञानमुनि से मुलाकात कर उनका आर्शीवाद लिया।