मुनि कमलेश ने किया राष्ट्रीय मुस्लिम अहिंसा मंच कार्यकर्ताओं को संबोधित
प्रकृति का जर्रा-जर्रा खुदा की अमानत है और इसको सुरक्षित रखने का संकल्प लेना ही सच्ची ईद मनाना है। राष्ट्रसंत कमल मुनि कमलेश ने सोमवार को महावीर सदन में राष्ट्रीय मुस्लिम अहिंसा मंच नई दिल्ली के कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए यह उद्गार व्यक्त किए।
मुनि ने कहा कि मन में उठने वाले विकार, क्रोध, लोभ, अहंकार, ईष्र्या आदि की कुर्बानी देकर सात्विक विचारों से ओतप्रोत होना हमारा मुख्य उद्देश्य होना चाहिए। त्याग और बलिदान से उठने वाली भावना की तरंगे ही भगवान और खुदा के पास पहुंची है, क्योंकि कोई भी वस्तु कोई भी इंसान खुदा के पास नहीं पहुंचा सकता।
उन्होंने कहा कि प्राणी मात्र से प्रेम, उनकी सेवा, सहयोग के रास्ते से ही खुदा को पाया जा सकता है। अभिशाप देने वाले को भी आशीर्वाद देने की मंगल भावना जिसके मन मंदिर में आए, वह खुद पूजनीय बन जाता है। किसी प्राणी को सताना साक्षात खुदा का अपमान करने के समान है।
राष्ट्रीय मुस्लिम अहिंसा मंच के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष अख्तर भाई रावल ने सवालिया लहजे में कहा कि निर्दोष प्राणियों को खुदा के नाम पर कष्ट देना कहां तक उचित है? इस पर हमें चिंतन और मनन करना होगा।
उन्होंने कहा कि केरल में बाढ़ पीडि़तों की हालत देख कर सादगी से ईद मनाने और पीडि़तों की सहायातार्थ धनराशि भेजने का निर्णय लिया गया है।
मुस्लिम समाज के वरिष्ठ नेता बबलू खान ने कहा कि देश की रक्षा के लिए अपने आप को कुर्बानी के तैयार रखना और वतन पर सब कुछ लुटा देना ही हमारा प्रथम कर्तव्य है। बतौर विशेष अतिथि वाजिद अली वाजिद ने कहा कि किसी से नफरत करना अपराध है।
कुरान में गाय के दूध और घी को सेहत के लिए फायदेमंद पर गोमांस को हानिकारक बताया गया है। उन्होंने दीन, दुखियों और गरीबों की सेवा के साथ ईद को सद्भाव के रूप में मनाकर भाईचारा और मानवीय रिश्ते को बरकरार रखने सहित नशामुक्ति, पर्यावरण रक्षा और राष्ट्रीय एकता का संकल्प लेने का आह्वान किया।
तपस्वी घनश्याम मुनि का सोमवार को 13वां उपवास रहा, जबकि कौशल मुनि ने मंगलाचरण किया। श्रावक संघ की ओर से अभिनंदन किया गया।