चेन्नई. साहुकारपेट जैन भवन में विराजित उपप्रवर्तक गौतममुनि ने शुक्रवार को कहा सेवा धर्म मनुष्य के लिए सुखों के मार्ग का निर्माण करता है। ऐसे मौके आने पर खुद को हमेशा आगे रखना चाहिए। इन मार्गो पर चलने से माता पिता, गुरु और परमात्मा भी प्रसंन्न हो जाते है। उन्होंने कहा जीवन को धन्य बनाने के लिए सेवा धर्म करना ही चाहिए।
अंधकार रूपी जीवन से बाहर निकलने के लिए धर्म के कार्य बहुत ही लाभदाई होते है। बिना भेद भाव से किया हुआ सेवा कभी निष्फल नहीं जाता। प्रत्येक मानव जाति को मन में ऐसे पावन विचार रखकर जीवन को परम पावन बनाने का प्रयास करना चाहिए। सेवा के प्रभाव से जीवन के बड़े से बड़े कष्ट भी दूर हो जाते है। लेकिन इस क्षेत्र में मनुष्य को किसी प्रकार का मोह और छलकपट नहीं करना चाहिए, अन्यथा जीवन का पतन संभव है। जब भी मौका मिले तो दिल से सेवा करनी चाहिए।
सागरमुनि ने कहा कि समय के महत्व को जानने वाला मनुष्य ही जीवन में सफलता को प्राप्त करता है। समय किसी का इंतजार नहीं करता, बल्कि मनुष्य को इंतजार करना पड़ता है। मनुष्य का जीवन ओस की बुंद की तरह होता है। अब चाहे वे हवा के झोखे से खुद को बिगाड़ ले या तप कर मोती की तरह निखर जाए। लेकिन याद रहे जो बुंद से गया वे जीवन से भी चला जाएगा।
उन्होंने कहा कि मनुष्य चाहे तो अपने अच्छे आचरण से आत्मा के अंधकार को दूर कर सकता है। दूसरों की चिंता तो बहुत किया अब खुद के भविष्य के लिए चिंतन करने की जरुरत है, तभी जीवन में प्रकाश आएगा। विनयमुनि ने भी व्याख्यान दिए और मंगलपाठ सुनाया। इस मौके पर संघ के अध्यक्ष आनंदमल छल्लाणी सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे। संचालन मंत्री मंगलचंद खारीवाल ने किया।