तपस्वीवृंद श्रीमती कलावती-मेहंदी दरड़ा को आदर्श सास-बहू अवार्ड से पुलिस कमिश्नर ने नवाजा
बेंगलूरु। यहां वीवीपुरम स्थित महावीर धर्मशाला में श्रमण सूर्य वरिष्ठ प्रवर्तक मरुधर केसरी श्रीमिश्रीमलजी म.सा. व लोकमान्य संत, शेरे राजस्थान संतश्री रुपचंदजी ‘रजत’ के जन्मजयंती के उपलक्ष्य में पंचदिवसीय विभिन्न कार्यक्रमों का समापन रविवार को हुआ। गुरु दिवाकर केवल कमला वर्षावास समिति के तत्वावधान में विश्वविख्यात अनुष्ठान आराधिका एवं शासनसिंहनी साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी आदि ठाणा-4 की निश्रा मेें तपस्वीवृंद श्रीमती कलावती एवं मेहंदी दरड़ा के मासक्षमण की ओर अग्रसर होने पर वरघोड़ा (शोभायात्रा) भी निकाला गया।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि दीपचंद पप्पू लूणिया, विशिष्ट अतिथि बेंगलूरु के पुलिस कमिश्नर भास्कर राव, अखिल भारतीय साधुमार्गी जैन संघ के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष शांतिलाल सांड, गौसेवी एवं प्रमुख समाजसेवी महेंद्र मुणोत, महावीर सिसोदिया, सुरेश डूंगरवाल, अनिल कुचेटा, कुशल खाबिया ने शिरकत की। जबकि अध्यक्षता हैदराबाद के समाजवेसी भामाशाह भागचंद कुचेटा ने की। इस अवसर पर साध्वीश्री द्वारा तपस्वीवृंद को ‘आदर्श सास-बहू’ की उपमा प्रदान की गई।
इस उपमारुपी अवार्ड को धर्मसभा में बतौर अतिथि शामिल हुए बेंगलूरु के पुलिस कमिश्नर भास्कर राव ने अपने करकमलों से तपस्वीवृंद कलावती देवी व मेहंदी दरड़ा को प्रदान किया। अपने प्रवचन में साध्वीश्री डाॅ.कुमुदलताजी ने संतद्वय की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए तथा गुणानुवाद करते हुए कहा कि महापुरुषों के उपकारों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है और ना ही उनके प्रभाव को गिनाया जा सकता है। उन्होंने कहा कि महापुरुष ही होते हैं जो कि संघ व समाज को सन्मार्ग दिखाते हैं। उन्होंने कहा कि मरुधरकेसरीजी की प्रेरणा से मारवाड़ सहित देशभर में सैकड़ों परमार्थिक संस्थाएं चल रही है। उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन जीवदया, करुणा, मानवसेवा व परउपकार के कार्यों में समर्पित कर दिया था। साध्वीश्री ने कहा कि संतद्वय का जीवन एक जलती हुई मशाल के समान था, एक ऐसी मशाल जो आज भी पूरे संघ व समाज को मार्ग प्रशस्त कर रही है।
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कुमुदलताजी ने कहा कि वे वचनसिद्ध योगी महापुरुष थे, जिनकी चमत्कारी मांगलिक से दुनियावी लोगों के सब अटके काम बन जाते थे। उन्होंने यह भी कहा कि वे एक दृढ़संकल्पी, अटूट विश्वास के धनी, आत्मविश्वास से परिपूर्ण, दीन-दुखियों के हितैषी व जीवदया के प्रबल प्रेरक तथा श्रमण संघ की ढ़ाल थे। इससे पूर्व साध्वीश्री महाप्रज्ञाजी ने ‘मिश्रीगुरु को हमारा नमन-रुपगुरु को हमारा नमन..’ गीतिका के साथ अपनी भावाभिव्यक्ति दी। साध्वीश्री डाॅ.पद्मकीर्तिजी ने कहा कि मानव नहीं मानवता, साधक नहीं साधकता तथा इंसान नहीं इंसानियत पूजी जाती है। हमारे संतद्वय-महापुरुषों के सिर कोई ताज न होते हुए भी वे आज हमारे सभी के सरताज हैं। उन्होंने एक स्तवन के माध्यम से संतद्वय के गुणों की व्याख्या भी की।
साध्वीश्री राजकीर्तिजी ने भजन प्रस्तुत किया। इस मौके पर पुलिस कमिश्नर भास्कर राव ने कार्यक्रम में शामिल होने को स्वयं के लिए सौभाग्यशाली बताते हुए कहा कि जैन धर्म के संतों व समाज के लोगों से उनका निकट का संबंध वर्षों से है। समाजोत्थान के लिए खूब मेहनत करने वाले जैन धर्मावलंबियों तथा भगवान महावीर के अनुयायियों को नमन करते हुए भास्कर राव ने धर्मसभा में उपस्थित विशाल जनसमूदाय को संबोधित करते हुए कहा कि अपने धर्म-कर्म से सबकुछ पाने के बाद सभी की तरक्की की सोच रखना अनुकरणीय है व जैन समाज के लोगों त्याग की भावना भी सर्वसमाज के लिए प्रेरणादायी है। राव साध्वीजी से श्रद्धा पूर्वक मांगलिक आशीर्वाद प्राप्त किया।
उनका जैन दुपट्टा ओढ़ाकर व मेमेंटों भेंटकर समिति के अध्यक्ष केसरीमल बूरड़, चेयरमैन किरणचंद मरलेचा ने सम्मान किया। समिति के महामंत्री चेतन दरड़ा ने बताया कि महिला समिति की कोषाध्यक्ष सरला दुगड़, संपतलाल दरड़ा, शीतल भंसाली, तपस्वी मेहंदी दरड़ा, आयुष-अर्पण व चेन्नई की शांतिबाई सिसोदिया तथा जैन काॅन्फ्रेेंस के राष्ट्रीय प्रचार-प्रसार मंत्री अशोक धोका ने भी अपने-अपने विचार रखे। महिला समिति की सदस्याओं ने गीतिका प्रस्तुत की।
सहमंत्री अशोक रांका ने बताया कि इस अवसर पर आगंतुक अतिथियों व चेन्नई, हैदराबाद व मैसूरु से आए श्रद्धालुओं व संघ के पदाधिकारियों का समिति द्वारा सम्मान किया गया। उन्होंने बताया कि रविवार के कार्यक्रम के लाभार्थी कालूराम अशोक विमल रांका, चेतन संजय दरड़ा, कन्हैयालाल प्रकाश बाफना, जैन बैक्स व सज्जनलाल जंबूकुमार बोहरा परिवार के सदस्यों का भी बहुमान किया गया। धर्मसभा का संचालन अशोक कुमार गादिया ने किया। सभी का आभार समिति के कार्याध्यक्ष पन्नालाल कोठारी ने जताया।