चेन्नई. गुरु ही सिखाते हैं जीवन जीने की कला। भटकते हुए किसी राही को सच्ची राह दिखाने वाला केवल गुरु ही है। अयनावरम जैन दादावाड़ी में विराजित साध्वी कुमुदलता ने कहा हमारे जीवन में गुरु का बहुत महत्व है। ढूंढऩे से ही मिलते हैं गुरु। जिनके साथ गुरु हैं उनके जीवन की गाड़ी शुरू है।
साध्वी ने कहा तिर्यंच प्राणी चंडकौशिक सर्प ने जब भगवान महावीर को डसा तो उन्होंने सोचा इससे तो मेरे शरीर के अलावा मेरी आत्मा को कोई नुकसान नहीं होगा। इसी प्रकार गजसुकुमार के सर पर जलते अंगारे रखे होने पर भी वह अपनी आत्मा में लीन रहा वैसे ही खडकऋषि के शरीर से जब खाल उतारी गई तब वे भी प्रभु भक्ति में लीन रहे। यानी हर चीज अपनी लाइफ में पॉजीटिव हो तो हर कार्य मंगल हो सकता है।
केसर पीली है और संतों का रंग भी पीला है। इसी प्रकार अरिष्ठनेमि भगवान ने राजुल से अप्सरा को ठोकर मार कर संयम पथ की ओर बढ़े जबकि भगवान गौतम स्वामी की भगवान महावीर के प्रति समर्पण और विनय की भावना थी। उन्होंने बताया जब गुरु शिष्य को मार या डांटकर इसलिए कुछ पढ़ाते हैं ंकि वह आगे चलकर दुनिया में नाम कमाए और जिन शासन की इस यात्रा में चार चांद लगाए।
जैन संत ही ऐसे होते हैं जो बिना किसी स्वार्थ के जिनशासन को जीवन समर्पित करते हैं, लोच करते हैं, पैदल चलते हैं और सर्वस्व जीवन अपने भक्तों को समर्पित करते हैं। साध्वी ने बताया धनु राशि का सिंबल है धनुष्य। इस राशि के लोगों के गुण आदर्शवादी व मजाकिया होते हैं एवं ये कुछ करने के बजाय कहने वाले ज्यादा होते हैं। काम कम करते और बोलते ज्यादा हैं व स्वतंत्रता पसंद होते हैं।
यात्रा करना और खुली जगह घूमना व हमेशा मित्रों व परिवार से जुड़े रहते हैं। मीन राशि का सिंबल है मछली। मछली का संबंध हमेशा पानी से होने के चलते मीन राशि वाले लोग पानी से प्यार करते हैं व सहानुभूति वाले होते हैं। इन को पाबंदी पसंद नहीं है और इनको अहंकार भी नहीं होता। ये प्रेम व दयावान होते हैं। मछली को अगर पानी में से निकाला जाए तो उसके प्राण निकल जाते हैं। साध्वी जी ने कहा अगर पत्थर का सहारा लोगे तो डूबते जाओगे और लकड़ी का सहारा लोगे तो संसार सागर से तिर जाओगे। इस मौके पर मुम्बई से साध्वीवृंद के दर्शनार्थ आई अतिथियों का सम्मान किया गया।