हर एक आम व खास को जिवन सार्थक करने के लिए हरिनाम का सुमिरण करना चाहिए। जो यह सुमिरण करेगा उसका कल्याण होगा। प्रभु ने यही कहा है कल्याण के लिए हरिनाम का सुमिरन करें।
रत्न तो बहुत होते हैं किंतु चिंतामणी मिलना दुर्लभ है। वृक्ष तो बहुत होते हैं पर कल्पवृक्ष का मिलना दुर्लभ है। रासायण तो बहुत होते हैं परंतु अमृत मिलना अत्यंत दुर्लभ है। धर्म तो बहुत है किंतु जैन धर्म दुर्लभ है।
किसी तरह से ये रत्न, रासायण व वृक्ष व्यक्ति को मिल भी जाएं पर उसे हिफाजत से रख उसका मुल्यांकण करना काफी मुश्किल है। ये एक बार हाथ से निकल जाए तो पुन: मिलना नामुमकिन है। जिंदगी जब समझ में आती है तब जाने की तैयारी हो जाती है।