कोलार (कर्नाटक): कर्नाटक की धरती को पावन बनाने, जन-जन को सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति के संदेशों द्वारा सन्मार्ग दिखाने को गतिमान जैन श्वेताम्बर तेरापंथ धर्मसंघ के ग्यारहवें अनुशास्ता, भगवान महावीर के प्रतिनिधि, अहिंसा यात्रा के प्रणेता आचार्यश्री महाश्रमणजी ने अपनी धवल सेना के साथ शुक्रवार को कर्नाटक के कोलार जिले के के.जी.एफ. (कोलार गोल्ड फिल्ड्स) में मंगल प्रवेश किया तो यह कंचन नगरी अकिंचन महातपस्वी महाश्रमण के ज्योतिचरणों का स्पर्श पाकर कुन्दन की भांति दमक उठी।
मानों इस नगरी ने अपने वर्षों से खोई चमक को महातपस्वी के चरणों के स्पर्श से पा लिया। क्योंकि जब से यहां के सोने की खादानों पर रोक लगी, सोना निकलना बंद हुआ, तब से इस नगर ने केवल पलायन ही देखा था, लेकिन शुक्रवार को हजारों-हजारों लोगों के हुजूम के साथ महातपस्वी का मंगल पदार्पण इस नगरी को मानों जीवंत कर गया।
कर्नाटक राज्य के कोलार जिले का यह क्षेत्र जो सोने के खानों के लिए जाना जाता है। हालांकि वर्षों पूर्व यहां के खानों से सोना निकालने का कार्य बंद हो चुका है, परन्तु उस सोने की चमक आज भी यहां बरकरार है। शुक्रवार को प्रातः आचार्यश्री महाश्रमणजी के मंगल प्रस्थान से पूर्व ही केजीएफ के सैंकड़ों श्रद्धालु आचार्यश्री की मंगल सन्निधि में पहुंच चुके थे।
आचार्यश्री ने अपनी धवल सेना के साथ निर्धारित समय पर मंगल प्रस्थान किया तो सैंकड़ों श्रद्धालुओं की भीड़ अपने आराध्य के ज्योतिचरण का अनुगमन करती हुई चल पड़ी। पूरा वातावरण जयघोषों से गूंज रहा था। आचार्यश्री जैसे-जैसे के.जी.एफ. के निकट होते जा रहे थे, श्रद्धालुओं की संख्या बढ़ती जा रही थी। आधी सदी के बाद अपने आराध्य के आगमन से के.जी.एफ.वासी अतिशय आह्लादित थे। आचार्यश्री ने जैसे ही इस नगर की सीमा में मंगल प्रवेश किया तो हजारों श्रद्धालुओं ने आचार्यश्री का भावभीना अभिनन्दन किया।
श्रद्धालुओं का हुजूम भव्य स्वागत जुलूस में परिवर्तित हुआ और अपने आराध्य को अपनी नगरी में कार्यक्रम स्थल की ओर ले चला। रास्ते में अनेक श्रद्धालुओं को दर्शन देते और सभी पर समान रूप से आशीषवृष्टि करते हुए आचार्यश्री नगर में स्थित मंगलचंद बांठिया परिवार के निवास स्थान में पधारे। आचार्यश्री के प्रवास स्थल के निकट ही स्थित एकिंग जार्ज हाॅल के परिसर में आज का मुख्य प्रवचन कार्यक्रम के साथ आचार्यश्री के कर्नाटक स्तरीय स्वागत समारोह का कार्यक्रम आयोजित था।
कार्यक्रम के शुभारम्भ में सर्वप्रथम महाश्रमणी साध्वीप्रमुखाजी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को मंगल संबोध प्रदान किया। उसके उपरान्त आचार्यश्री जैसे ही प्रवचन पंडाल में पधारे पूरा वातावरण जयघोष से गुंजायमान हो उठा। आचार्यश्री ने के.जी.एफ. की धरती से पावन पाथेय प्रदान करते हुए कहा कि आदमी के जीवन में एकाग्रता का बहुत महत्त्व है। एकाग्रता मानव जीवन की एक शक्ति होती है। एकाग्रता का संबंध आदमी के मन से और कुछ अंशों में तन से जुड़ा होता है। थोड़े समय में ही आदमी के मन में कितने विचार आ जाते हैं।
आदमी एकाग्रता का लक्ष्य बनाए तो अनावश्यक विचारों के आने में कमी भी आ सकती है। धर्म जगत में ध्यान की बात बताई गई है। ध्यान की आत्मा एकाग्रता है। विभिन्न विषयों पर घूमने वाला मन व्यग्र और एक विषय पर केन्द्रित मन एकाग्र होता है। इसलिए आदमी को ध्यान, साधना के द्वारा अपने मन को साधने का प्रयास करना चाहिए। जो आदमी मन को साध लेता है वह मानों बहुत बड़ी उपलब्धि प्राप्त कर सकता है।
आचार्यश्री ने के.जी.एफ. आगमन के संदर्भ में पावन संबोध प्रदान करते हुए के.जी.एफ. व कर्नाटकवासियों को मंगल आशीष प्रदान की। आचार्यश्री के आह्वान पर समुपस्थित जनमेदिनी ने अहिंसा यात्रा के संकल्प स्वीकार किए। इस दौरान के.जी.एफ.वासियों ने आचार्यश्री से सम्यक्त्व दीक्षा भी स्वीकार किया।
कर्नाटक स्तरीय स्वागत समारोह का शुभारम्भ हुआ तो सर्वप्रथम बेंगलुरु चतुर्मास प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष श्री मूलचंद नाहर, श्री मंगलचंद बांठिया, के.जी.एफ. महिला मंडल की मंत्री श्रीमती भंवरी बाई, श्री महेन्द्र मणोत, के.जी.एफ. तेरापंथी सभा के मंत्री श्री सोहनलाल बांठिया, डा. राजेन्द्र कुमार, श्री मनीष सेठिया, के.जी.एफ. युवक परिषद अध्यक्ष श्री कमलेश हिंगड़, मूर्तिपूजक समाज के श्रीपालजी ने अपनी भावाभिव्यक्ति दी। के.जी.एफ. तेरापंथ महिला मंडल ने स्वागत गीत का संगान किया।
इसके अलावा के.जी.एफ. युवक परिषद, समस्त महिला मंडल-बेंगलुरु, ज्ञानाशाला की प्रशिक्षिकाओं व समस्त युवक परिषद बेंगलुरु ने अपने-अपने गीतों के माध्यम से अपने आराध्य की अभिवन्दना की। के.जी.एफ. कन्या मण्डल और किशोर मण्डल ने अपनी संयुक्त प्रस्तुति दी। ज्ञानाशाला के ज्ञानार्थियों ने अपनी प्रस्तुति के माध्यम से अपने आराध्य की अभ्यर्थना की। श्री संजय बांठिया ने आभार ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन मुनिश्री दिनेशकुमारजी ने किया।