चेन्नई. सोमवार को श्री एएमकेएम जैन मेमोरियल, पुरुषावाक्कम में विराजित उपाध्याय प्रवर प्रवीणऋषि एवं तीर्थेशऋषि महाराज ने धर्मसभा में कहा कि भगवत्तता का अनुभव जीवन में लेना है तो भगवत्तता के बीज बोना है। भगवत्तता की भक्ति करना स्वयं के भगवत स्वरूप को व्यक्त करने की प्रक्रिया है। जिस समय हम किसी सज्जन की प्रशंसा करते हैं उस समय अपने अन्दर की सज्जनता को व्यक्त का रास्ता खोलते हैं। जब हम किसी की निन्दा करते हैं तो अपने अन्दर का बुरा बनने का मार्ग खोलते हैं। किसी की प्रशंसा या निन्दा करना सहज ही हमारे भविष्य के निर्माण करने के सहज मार्ग हैं। जिस व्यक्ति की हम निन्दा या प्रशंसा करते हैं
जब हम किसी की निन्दा करते हैं तो अपने अन्दर का बुरा बनने का मार्ग खोलते हैं। किसी की प्रशंसा या निन्दा करना सहज ही हमारे भविष्य के निर्माण करने के सहज मार्ग हैं। जिस व्यक्ति की हम निन्दा या प्रशंसा करते हैं, अनायास ही हम उसके जैसे बनते जाते हैं। सौभाग्य है हमारा कि जिस परमात्मा को हमने नहीं देखा है उसका स्वरूप और चरित्र की प्रशंसा जम्बुस्वामी के आग्रह पर सुधर्मास्वामी ने पुच्छीशुणं में सुनाई है। इसमें भौतिकता का कहीं स्पर्श नहीं है। निरंतर परमात्मा के आध्यात्मिक स्वरूप की महत्ता और विवरण किया गया है।
पदार्थ सदैव आपके साथ नहीं रहते आपको पदार्थों के साथ रहना पड़ता है। यदि शाश्वत भगवत्तता पाना चाहते हैं तो परमात्मा के स्वरूप की प्रशंसा और अनुमोदना करना, उनकी भक्ति को गाना है। नवकार मंत्र अनुमोदना का मंत्र है। करना, कराना और अनुमोदना करने में पाप भी ज्यादा और पुण्य भी ज्यादा है। नवकार में एकसाथ कितने ही तीर्थंकर, भगवंतों, साधुओं की साधना की अनुमोदना है। परमात्मा के स्वरूप को महसूस करते हुए उन्हें नमस्कार करने का पुण्य प्राप्त हो तो सौभाग्य की बात है।
परमात्मा का तप और साधना निष्काम और स्वप्रेरित व स्वयंभू है। परमात्मा निरंतर कई महीनों तक एक ही स्थिति में रहकर बिना आहार–जल के साधनाएं करते हैं लेकिन उनके मन में कोई भी वेदना नहीं है। वे सर्वथा राग–द्वेष से मुक्त हैं।
सांसारिक जीव कषाय और रागद्वेष में डूबे हुए हैं वे प्रभावना के बल पर ही भाव की यात्रा कर पाते हैं। वे सौभाग्यशाली हैं जो प्रभाव से आगे भाव की यात्रा कर सके। तीर्थंकर परमात्मा के पास प्रभाव और भाव दोनों ही है। इसलिए कभी प्रभाव से इन्कार न करें।
कृतज्ञता की महिमा बताते हुए कहते हैं कि परमात्मा की कृतज्ञता करें कि हमें परमात्मा का जिनशासन मिला है। भवनपति देवों में धरणेन्द्र अपने कृतज्ञता के भावों के कारण ही सर्वश्रेष्ठ है। वह परमात्मा के अपने प्रति उपकारों को भूलते नहीं हैं। जो अपने उपकारी का उपकार छिपाता है वह अनेकों प्रकार के बंध करता है। कृतज्ञता गहरी साधना है जो अन्तरमन में अमृत का झरना बहाती है। हमारी चेतना जब कृतज्ञता में डूब जाती है तो चाहे कितना ही तनाव हो दूर हो जाता है। टेंशन के समय यदि अपना सहयोगी याद आ जाए तो आपका आत्मविश्वास बढ़ जाएगा। अपने उपकारियों को सदैव याद रखता है उसके जीवन में बार उपकारी आते हैं।
परमात्मा प्रभु ने ऐसी भक्ति प्रदान की है कि सुधर्मास्वामी अनेक प्रकार की उपमाओं से उनके तप और साधना की व्याख्या करते हैं। तीर्थंकर परमात्मा महावीर का तप और साधना सर्वश्रेष्ठ ऐरावत हाथी, पशुओं में सर्वश्रेष्ठ सिंह, पक्षियों में गरुड़, नदियों में गंगा के समान हैं। वे जीवन की परिस्थितियों से हार न मानते हुए उनको सिंह की भांति पुरुषार्थ से जीते हैं। वे निर्वाणवादी और शांतिवादियों में सर्वश्रेष्ठ है। वे दानों में सर्वश्रेष्ठ अभयदान देनेवाले हैं।
वर्तमान में परमात्मा के बताए मार्ग पर चलते हुए हमें भी कम–से–कम अपने स्वजनों को अभयदान देने की महत्ती आवश्यकता है। उनमें आपसे भय न होगा तो कुछ भी छिपाने का खेल नहीं होगा, सभी आपस में अपनी बात निर्भय होकर एक–दूसरे के साथ बांट सकेंगे। भय के कारण ही आने वाली पीढ़ी हिंसक हो रही है। जो अभय के माहौल में पनपेगा वही सुदर्शन के समान अभय होगा। अपने भयंकरता के चरित्र से मुक्त हों तथा अपने घर–परिवार को अभयदान दें। इसमें दूसरों के साथ–साथ स्वयं का भी कल्याण है। जिस सत्य को बोलने से पाप या गुनाह बढ़ जाए ऐसा सत्य कभी न बोलें। तप में सर्वश्रेष्ठ ब्रह्मचर्य की तपस्या है। परमात्मा प्रभु अभय की मूर्ति और सत्य के अमृत के समान हैं।
धर्मसभा में सिकन्दराबाद श्रीसंघ के अध्यक्ष और अनेक स्थानों से आए श्रावक–श्राविकाएं उपस्थित रहे। 22 नवम्बर को चातुर्मास की पक्खी का अंतिम दिन और 23 नवम्बर को चातुर्मासार्थ विराजित संतों का इस चातुर्मास का अंतिम प्रवचन का दिन है। 24 नवम्बर को सुबह सामूहिक भक्तामर पाठ के साथ चातुर्मास स्थल से गौतमचंद कांकरिया के निवास पर विहार और मरलेचा गार्डन, किलपॉक में प्रवचन कार्यक्रम होगा।
30 नवम्बर को श्री एएमकेएम धर्मपेढ़ी द्वारा नॉर्थ टाउन में निर्मित नए स्थानक का उद्घाटन और संतों के प्रवचन का कार्यक्रम रहेगा।