दुर्ग / संत गौरव मुनि के मार्गदर्शन में आज स्कूली एवं कॉलेज के विद्यार्थियों के लिए पढ़ाई कैसे करें स्टडी ऑफ स्टाइलिश पर रोचक एवं ज्ञानवर्धक जानकारी संत गौरव मोनी के द्वारा प्रदान की गई। बच्चों को दी गई इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में लगभग 135 विद्यार्थियों ने हिस्सा लिया। विद्यार्थियों के साथ-साथ बच्चों के माता-पिता भी इस कार्यक्रम को मन लगाकर गंभीरता से सुन रहे थे।
जय आनंद मधुकर रतन भवन के सभागार में आयोजित इस प्रशिक्षण कार्यक्रम को पढ़ाई कैसे करें और परीक्षा की तैयारियां करने पर जोर दिया गया। जैन दर्शन एवं जैन सिद्धांतो के नियम को जीवन में उतारते हुए छोटे छोटे बदलाव के साथ मन लगाकर पढ़ाई की जा सकती है। जिसके सकारात्मक परिणाम हम इस विधि का उपयोग कर देख सकते हैं।
पढ़ाई करते वक्त इन बातों का ध्यान रखकर पढ़ाई करे
पढ़ाई करते वक्त हमारा चेहरा पूर्व एवं उत्तर की दिशा में होना चाहिए। अपने इष्ट परमात्मा का स्मरण करने के पश्चात पढ़ाई प्रारंभ करना चाहिए। ध्यान की मुद्रा में जो भी विषय हमें अध्यन करना है उसका मन में स्मरण करना चाहिए। उल्टा हाथ नीचे सीधा हाथ ऊपर करके जिसका हमें अध्यन करना है उसका स्मरण करना चाहिए।
नवकार महामंत्र का स्मरण करना चाहिए, आसन बिछाकर पढ़ाई करना चाहिए, अपने अध्यन की पुस्तकों को नीचे जमीन पर नहीं रखें। बड़ों को प्रणाम कर अध्यन प्रारंभ करें। खाते वक्त पढ़ाई ना करें पढ़ाई करते वक्त खाना नहीं खाना। टीवी मोबाइल के सामने पढ़ाई नहीं करना। खिड़की के सामने बैठकर पढ़ाई नहीं करना।
जैन समाज के छात्र छात्राएं भक्तांबर की छठवीं गाथा सुनकर पढ़ाई प्रारंभ करना चाहिए। शांत वातावरण में खाली जगह पर बैठकर पढ़ाई करना चाहिए। जब पढ़ने में मन ना लगे तो उतराअध्यन का 11 श्लोक पढ़ना चाहिए। घर के बड़े बुजुर्ग या साधु संतों से सुनना चाहिए।
मां का हाथ सिर पर रखकर 3 बार मंगल पाठ का श्रवण करना चाहिए। सामायिक लेकर भी पढ़ाई कर सकते हैं संवर भी कर सकते हैं जिसका हमें लाभ मिलेगा। मन की स्थिरता हो उतने देर अध्यन करना चाहिए, काले वक्त पहनकर पढ़ाई नहीं करना चाहिए।
परीक्षा देते देने जाते समय घर से निकले तो घी गुड खाकर निकले। अपनी कोई इच्छा हो तो इच्छाकारेणम की स्तुति करना विद्यार्थियों के लिए लाभ प्रद होता है।
इन छोटे छोटे- संकल्पो के साथ संस्कार वान बनते हुए हम अच्छे विद्यार्थी सिद्ध हो सकते हैं। आज के इस आयोजन में श्रमण संघ स्वाध्याय मंडल श्रमण संघ महिला मंडल एवं आनंद मधुकर पाठशाला के शिक्षिका विशेष रूप से उपस्थित थे।
नवीन संचेती
प्रचार प्रसार प्रमुख
श्रमण संघ दुर्ग