श्री वर्धमान स्थानकवासी जैन संघ कम्मनहल्ली में कर्नाटक तप चंद्रिका प.पू. आगमश्रीजी म.सा. ने संपत्ति का राग कैसा होता है। संपत्ति नहीं हो तो प्रभु का जाप करता है। संपत्ति हो तो पाप करता है। पर संपत्ति यह पुण्य की पड छाया है। यह राग छोड़ने जैसा है।
प.पू. धैर्याश्रीजी म.सा. ने बताया कि श्रावक को कैसे बोलना चाहिए। भाषा का ध्यान होना चाहिए। कर्कशकारी कम बोले, आवश्यकता अनुसार बोले, चतुराई युक्त बोले, उदाहरणों के माध्यम से समझाया। अध्यक्ष विजयराज चुत्तर ने स्वागत किया। मंत्री हस्तीमल बाफना ने संचालन किया