श्री गुजराती जैन संघ गांधीनगर बैंगलोर में चातुर्मास विराजित दक्षिण सूर्य ओजस्वी प्रवचनकार परम पूज्य डा . श्री वरुण मुनि जी म सा ने शनिवार को धर्म सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि मानव जीवन बहुत दुर्लभ है।
आप यह चिंतन करें कि आपकी ज़िन्दगी का कितना पल सार्थक कार्यों में बीत गया है और कितना पल वर्तमान में यूं ही व्यर्थ में व्यतीत हो रहा है सच्चा साधक वही है जो समय रहते अपनी बची हुई श्वासो को धर्म साधना और अच्छे कार्यों में सदुपयोग करते हुए अपने मानव जीवन को सफल बना लेता है।
मुनि श्री ने आगे कहा कि किसी भी कार्य की सफलता उसके किये गये तौर तरीकों पर और अच्छे रुप में की गई कार्य विधि पर निर्भर करता है। चाहे शारीरिक योग हो या आध्यात्मिक जप तप साधना इन सबका प्रतिफल आपके द्वारा की गई व्यवहार , आचरण से जुड़ा होता है। उन्होंने कहा कि बिना विधि के कोई भी साधना सफल संपन्न नहीं हो सकती है। विधि गुरु गमय होती है।
इसलिए साधक को अपनी साधना मे सफलता प्राप्त करने के लिए अवश्य ही गुरु की शरण ग्रहण कर साधना सिद्धि विज्ञान की सही रूप में विधि सीखनी चाहिए तभी वह सार्थक फल प्रदान करती है। उन्होंने आगे आचार्य श्री आत्माराम जी महाराज जो आगम ज्ञान के भंडार थे।
दूर दूर से उनके पास साधु साध्वी भगवंत नया ज्ञान, ध्यान सीखने के लिए गुरु चरणों में सादर समर्पित सेवा में रहकर अपनी ज्ञान पीपासा को शान्त करते थे। हमको भी गुरु सेवा में समर्पित होकर ज्ञान की आराधना में लीन होना चाहि गुरु के बिना जीवन की साधना अधूरी है। मधुर वक्ता श्री रुपेश मुनि जी ने सुन्दर भजन किया।
उप प्रवर्तक श्री पंकज मुनि जी महाराज ने सबको धर्म ध्यान जिनवाणी श्रवण की प्रेरणा करते हुए सभी श्रद्धालुओं को मंगल पाठ प्रदान किया। कार्यक्रम का संचालन राजेश भाई मेहता ने कियाl इस अवसर पर समाज के अनेक गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।