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मंत्र, मणि और औषधि से असंभव भी संभव : भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज

मंत्र, मणि और औषधि से असंभव भी संभव : भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज

भारत गौरव डॉ. वरुण मुनि जी महाराज ने श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए कहा कि आध्यात्मिक जगत में मंत्र, मणि और औषधि का अत्यंत महत्वपूर्ण स्थान है। जो कार्य तन, मन और धन की शक्तियाँ नहीं कर पातीं, वह कार्य मंत्र, मणि और औषधि के प्रभाव से संभव हो जाता है।

यह उद्बोधन उन्होंने राष्ट्र संत परम पूज्य श्री पंकज मुनि जी महाराज के पावन सानिध्य में आयोजित अईनूर धर्म सभा में व्यक्त किये।

पूज्य गुरु भगवंतों की धर्म यात्रा बेंगलुरु से पुणे की ओर गतिमान है। पूज्य गुरुदेव सुशीलधाम से चिकपेट होते हुए नाइस रोड़ स्थित श्री संदीप जी अग्रवाल के निवास स्थान पर पधारे, जहाँ समस्त परिवार ने उनका भव्य स्वागत कर शुभ आशीर्वाद प्राप्त किया। तत्पश्चात गुरुदेव ओमकार हिल आश्रम पहुँचे, जहाँ स्वामी श्री मधुसूदन जी महाराज के शिष्यों ने उनका विशेष अभिनंदन किया।

दिनभर के प्रवास के दौरान पूज्य गुरुदेव ने महाराज श्री द्वारा स्थापित 12 ज्योतिर्लिंग, माँ भगवती जगदंबा शक्ति साधना स्थल तथा सर्वधर्म समन्वय धर्मस्थल के दर्शन कर तीर्थ की महिमा का अवलोकन किया। श्री योगा जी एवं अन्य कार्यकर्ताओं ने तीर्थ का विस्तारपूर्वक परिचय कराया। यहां के प्रवास उपरांत पूज्य गुरुदेव तुलसी चेतना केंद्र पधारे, जहाँ श्री विक्रम जी तथा श्री सुशील जी से अत्यंत मंगलमय भेंट वार्ता हुई। यहाँ गुरुदेव ने जप, ध्यान और साधना सम्पन्न की। सायंकाल उनका प्रवास जैन स्कूल श्रीमान सा चैनराज जी छाजेड़ के यहां रहा तथा रात्रि विश्राम पश्चात श्रीकुंथुनाथ जैन मंदिर, सीरा में गुरुदेव ने जप-साधना कर मंगल आशीष प्रदान किया। मंदिर की भव्यता अत्यंत मनोहारी है। श्रीपाल जी एवं गौतम जी धारीवाल की सेवाएँ सराहनीय रहीं। वहाँ से प्रस्थान पश्चात पूज्य गुरु भगवंत गुरुजंट पंजाबी ढाबा पधारे, जिसकी विशिष्ट बात यह है कि सरदार जी का पूरा परिवार पिछले लगभग 30 वर्षों से साधु-संतों की आहार-विहार सेवा में सतत समर्पित है।

उनका कहना है “किसी भी संप्रदाय के साधु-संत पधारें, हमें सूचना देने की भी आवश्यकता नहीं। यह स्थान सदा आपका ही है।” यात्रा आगे बढ़ाते हुए पूज्य गुरुदेव नित्यानंद आश्रम पहुँचे, जहाँ स्वामी जी के साथ विभिन्न आध्यात्मिक विषयों पर धर्मचर्चा हुई। तत्पश्चात साईं मंदिर में पहुँचकर गुरुदेव ने अपने चरण-कमलों से तीर्थ को पावन किया। श्री साईं बाबा का जीवन लोक-सेवा और लोककल्याण के लिए सदैव समर्पित रहा है। यहाँ स्थित ध्यान मंदिर और साधना कक्ष अत्यंत रमणीय हैं। आगे पूज्य गुरुदेव होललगिरी ग्राम स्थित विद्यालय में पधारे, जहाँ रात्रि विश्राम रहा। चेतन भाई एवं परिवार ने सेवा का पुण्य लाभ प्राप्त किया।

यात्रा क्रम में पूज्य गुरु भगवंत चन्नागिरी, शिमोगा होते हुए चिंतामणि श्री पारसनाथ भगवान के शासन की जागृत देवी पद्मावती शक्ति पीठ हुमचा पद्मावती धाम पहुँचने की मंगल भावना रखते हैं, जो लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। शुक्रवार के दिन प्रवास की संभावना व्यक्त की गई है। वहाँ से पूज्य गुरु भगवंत आगे पुणे प्रवास की ओर प्रस्थान करेंगे और यह दिव्य धर्म यात्रा सतत मंगल कल्याण की दिशा में अग्रसर है।

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