सौभाग्य प्रकाश संयम सवर्णोत्सव चातुर्मास खाचरोद
पर्व पर्युषण की आराधना करना यह भाव देव, गुरु, धर्म के प्रति श्रद्धा से जोड़ता हैl आपमे श्रद्धा का भाव है यह बात पूज्य गुरुदेव प्रवर्तक श्री प्रकाश मुनि जी महारासा ने बताते हुए कहा कि जीवन कीमती है यह समझ गया वह बुद्धिमानl जो समझकर जीवन में उतार लें वह श्रद्धावान हैl तमसो मा जोतिरगमय अंधकार से प्रकाश की ओर जाओl
समय्यक ज्ञान की ओर जाओ, हमारे जीवन मे कोई लक्ष्य नही, क्यों जीना? जीवन का लक्ष्य क्या? धन कमाना, पद, प्रतिष्ठा पाना लक्ष्य नहीl जो यह माने वह अंधकार में हैl अज्ञान दशा जो धन के लिए लड़ रहे होl जानते सभी है कि साथ लेकर जाने वाले नही। स्वाधीन धन है चाहो तो उपयोग करो ,उपभोग करो नही तो जोड़कर मर जाओ ।
श्रद्धावन लभते ज्ञानम श्रद्धा से ज्ञान मिलता है , जो ज्ञान श्रद्धा से सुनते है वह आत्मा तक पहुचता है। गुरु से बिना पाठ लिए शास्त्र का पाठ नही करना , परमात्मा की वाणी तारने में सक्षम है ।
निर्ग्रन्थ पावयणं- प्रवचन भगवान के होते है, छद्मस्थ की व्याख्या होती है ।
8 दिन संयमित जीवन जीना, सिद्धतत्व पाना है यह पर्व जगाने आते है, पर्व अंदर से समृद्ध बनाते है, देह को कितना भी पुष्ट बना लो धोखा दे देती है, आत्मा को पुष्ट बनाओ।